औरैया जिले में पिछले तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश और तेज हवाओं ने किसानों की मेहनत को तहस-नहस कर दिया है. खेतों में खड़ी बाजरे की फसल तेज हवाओं के कारण टूटकर गिर गई, जबकि पूरी तरह से तैयार धान की फसल भी पानी और हवा से बिछ गई है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है.
लहसुन और आलू, जो हाल ही में खेतों में बोए गए थे, बारिश के पानी से जलभराव के कारण पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. जिन खेतों में किसान उम्मीदों से फसल बोकर खुश थे, वहीं अब वे किस्मत को कोसते हुए दुखी और लाचार नजर आ रहे हैं.
किसानों का कहना है कि यह बारिश मौसम के तय समय से बाहर आई है, जिससे वे इसके लिए तैयार नहीं थे. खेतों में जलभराव की समस्या से अगली बुवाई पर भी संकट मंडरा रहा है. शासन-प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस राहत नहीं मिली है, जिससे किसानों की नाराजगी और चिंता बढ़ती जा रही है.
सरकारी सहायता, मुआवजा और फसल बीमा की त्वरित प्रक्रिया की मांग तेज हो रही है, ताकि किसानों को इस आपदा से राहत मिल सके.
इस बार बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. अत्यधिक बारिश ने कई फसलों को तबाह किया है. कुछ फसलें ऐसी भी हैं जो कटाई के लिए तैयार होने वाली हैं. इन खड़ी फसलों को बारिश ने पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है.
ऐसी विषम परिस्थिति में किसानों का आसरा अब सरकारी सहायता पर टिक गया है. किसान बर्बाद फसलों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं. जिन फसलों का बीमा हो रखा है, उन फसलों का सर्वे कराकर जल्द क्लेम देने की मांग की जा रही है.
इस बार मॉनसून में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. उत्तर प्रदेश के कई हिस्से ऐसे हैं जहां भारी बारिश हुई है जबकि कई हिस्से पानी के लिए तरस रहे हैं. पूर्वी यूपी में कम बारिश होने से फसलें खराब हो रही हैं जबकि बाकी हिस्से में बेमौसम बारिश ने फसलों को चौपट कर दिया है.
औरैया में जो फसलें बर्बाद हुई हैं उनसे किसानों को बहुत उम्मीद थी. लहसुन और आलू जैसी फसल किसानों को फौरी कमाई देती हैं. आलू का नया सीजन जल्द शुरू होने वाला है, लेकिन उससे पहले ही बारिश ने उसे खराब कर दिया है. धान भी अपने अंतिम चरण में है, मगर बारिश ने उसे भी तबाह कर दिया है.(सूर्य शर्मा का इनपुट)