Mango News: दशहरी के बाद लखनऊ के बाजारों में छाया लंगड़ा-चौसा आम, जानिए इसकी खासियत

Mango News: दशहरी के बाद लखनऊ के बाजारों में छाया लंगड़ा-चौसा आम, जानिए इसकी खासियत

सहारनपुर जिले के ग्राम ढकदेवी के किसान देवेंद्र पंवार ने बताया कि वो बीते 15 सालों से लंगड़ा आम की बागवानी कर रहे हैं. हमारे जिले में कई किसान लंगड़ा आम की बागवानी करते है. क्योंकि यहां लंगड़ा आम की पैदावार अच्छी होती है.

लखनऊ के बाजारों में छाया लंगड़ा और चौसा आम (Photo-Kisan Tak)लखनऊ के बाजारों में छाया लंगड़ा और चौसा आम (Photo-Kisan Tak)
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Aug 01, 2024,
  • Updated Aug 01, 2024, 5:45 PM IST

Lucknow News: बहुत सारे लोगों का फेवरेट फल आम है. उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ के बाजारों में आजकल सहारनपुर का लंगड़ा और चौसा आम खूब बिक रहा है.  लखनऊ में सड़को के किनारे लगी आम की दुकानों लंगड़ा और चौसा खरीदने वालों की भारी भीड़ उमड़ रही है. लंगड़ा आम के फुटकर दुकानदार महेश ने बताया कि आजकल कई ग्राहक दहशरी से ज्यादा लंगड़ा आम (Langda Aam) को खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे है. क्योंकि सहारनपुर के लंगड़ा आम की खासियत है कि उसका छिलका पतला होता है, और स्वाद में मिठास चीनी की जैसी होती है. वहीं आम की गुठली में गुदा बहुत ज्यादा होता है. उन्होंने बताया कि फुटकर बाजार में लंगड़ा आम 60-80 रुपये प्रति किलो के रेट से बिक रहा है. जबकि थोक भाव 50-60 रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है.

सहारनपुर में लंगड़ा आम की हुई बंपर पैदावार

सहारनपुर जिले के ग्राम ढकदेवी के किसान देवेंद्र पंवार ने बताया कि वो बीते 15 सालों से लंगड़ा आम की बागवानी कर रहे हैं. हमारे जिले में कई किसान लंगड़ा आम की बागवानी करते है. क्योंकि यहां लंगड़ा आम की पैदावार अच्छी होती है. बागवान देवेंद्र ने बताया कि हमारे बाग में कई प्रजातियों के आम के पेड़ लगे हुए हैं, जैसे दशहरी, लंगड़ा, रामकेला व चौसा प्रजाति के आम की पैदावार होती है. उन्होंने बताया कि यदि किसी बाग में कई प्रजाति के आम पैदा होते हैं, तो उस बाग की कीमत या यूं कहें कि किसान और बागवान दोनों को ही अधिक लाभ मिल जाता है, क्योंकि सभी प्रजातियों के मूल्य अलग-अलग मिलते हैं.

लंगड़ा आम की कैसे करें पहचान?

लंगड़ा आम अंडाकार आकार का होता है. लंगड़ा आम नीचे से हल्का नुकीला होता है. इस कारण से इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है. लंगड़ा आम पकने के बाद भी हरे रंग का ही रहता है. लंगड़ा आम की गुठली चौड़ी और पतली होती है.

कैसे पड़ा लंगड़ा आम का नाम?

लंगड़ा आम का इतिहास करीब 300 साल पुराना है. लंगड़ा आम की पैदावार की शुरुआत उत्तर प्रदेश के बनारस से हुई बताई जाती है. लंगड़ा आम की कहानी के बाद आपको बताते हैं कि इसका ये नाम कैसे पड़ा. दरअसल, साधु ने जिस पुजारी को आम के पेड़ सौंपे थे, वो दिव्यांग था. उन्हें लोग 'लंगड़ा पुजारी' के नाम से जानते थे. इसलिए इस आम की किस्म का नाम भी 'लंगड़ा आम' पड़ गया. आज भी इसे लंगड़ा आम या बनारसी लंगड़ा आम कहा जाता है. आज यह देशभर में सबसे पॉपुलर लंगड़ा आम की वैरायटी है.

लखनऊ की मंडी में चौसा आम की महक

लखनऊ की मंडी में चौसा आम (Chausa Aam) महक रहा है. वहीं, आम के थोक कारोबारी बताते हैं कि वह आम को प्लास्टिक की टोकरियों में पैक करने के बाद वाहनों से कई जिलों तक इन्हें भेज रहे हैं. चौसा आम की खरीद 30 रुपये किलो के हिसाब से की है. बाजारों में यहां का आम बहुत पसंद किया जा रहा है.

चौसा आम की खासियत

इस समय मार्केट में चौसा आम की बहार है. इस आम की खासियत है कि यह काफी मीठा और रसीला होता है. यह गहरे पीले रंग का होता है. इसके नाम का इतिहास काफी पुराना है और बिहार से जुड़ा है. माना जाता है कि इस आम की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में हुई थी. हालांकि अब इसकी पैदावार देश के कई इलाकों में होती है. लेकिन मुख्य रूप से बिहार और उत्तर भारत में यह काफी पाया जाता है. 

 

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