हरियाणा में कई हफ्तों तक सूखे और भीषण गर्मी ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी थी. लेकिन मंगलवार और बुधवार को हुई लगातार बारिश से करनाल जिले में काफी राहत मिली है. जिन जिलों में किसान पानी की कमी और लगातार बिजली कटौती के बीच धान की रोपाई शुरू करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, बारिश उनके लिए काफी महत्वपूर्ण हो गई है. आपको बता दें कि पंजाब और हरियाणा में जून के महीने में धान की रोपाई का काम शुरू हो जाता है.
मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, जिले में मंगलवार को 40.8 मिमी और बुधवार को 26 मिमी बारिश दर्ज की गई है. इससे मिट्टी की नमी में काफी सुधार हुआ और पूरे क्षेत्र में तापमान में कमी आई. बारिश किसानों के लिए वरदान साबित हुई है. इससे वो बुवाई के लिए खेत तैयार कर सकते हैं और लंबे समय से विलंबित रोपाई प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं. स्थानीय किसानों की मानें तो उन्हें ऐसी ही बारिश का इंतजार था और इसकी उन्हें काफी जरूरत थी. उनका कहना है कि भीषण गर्मी में खेतों की सिंचाई करना आसान नहीं था.
कुछ किसानों की मानें तो पहले बिजली की लगातार कटौती के चलते सिंचाई के लिए पानी पंप करना मुश्किल हो जाता था. लेकिन बारिश के बाद खेतों में नमी बढ़ गई है और फसलों को नुकसान नहीं होगा. खरीफ सीजन के दौरान करनाल में करीब 5.30 लाख एकड़ खेती योग्य भूमि में से 4.5 लाख एकड़ पर धान की रोपाई होने की उम्मीद है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार समय पर हुई यह बारिश बहुत महत्वपूर्ण है. इससे धान की रोपाई में तेजी आएगी. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे इस चरण के दौरान स्वस्थ फसल की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहें.
बारिश की वजह से बिजली ग्रिड पर भी दबाव कम हुआ है. ऑपरेशन सर्किल, करनाल के अनुसार, बारिश से पहले, बिजली की दैनिक मांग 1.5 करोड़ यूनिट तक बढ़ गई थी, लेकिन उसके बाद से यह घटकर 1.10 करोड़ यूनिट रह गई है. दक्षिण-पश्चिम मानसून बुधवार को हरियाणा और पंजाब के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ा है. हरियाणा में कुरुक्षेत्र के शाहबाद में 170 मिमी, कुरुक्षेत्र के बबैन में 110 मिमी, यमुना नगर के प्रतापनगर में 100 मिमी, यमुना नगर के बिलासपुर में 80 मिमी और यमुना नगर के छछरौली में 70 मिमी बारिश दर्ज की गई. आईएमडी ने 1 जुलाई तक पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना जताई है.
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