
भारत में टमाटर की खेती एक लाभकारी व्यवसाय बन चुकी है. यह फसल हर मौसम में बाजार में मांग में रहती है. अगर किसान सही तकनीक और प्रबंधन अपनाएं तो एक हेक्टेयर में टमाटर की खेती से लाखों रुपये की आमदनी प्राप्त की जा सकती है. आइए जानते हैं- टमाटर की खेती के लिए कौन-सी मिट्टी उपयुक्त है, कितना बीज लगता है, और बंपर उत्पादन के लिए क्या-क्या जरूरी है.
टमाटर की खेती के लिए ऐसी मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें जल निकास की सुविधा अच्छी हो. रेतीली दोमट मृदा, चिकनी काली कपासीय मृदा और लाल मृदा इस फसल के लिए उत्तम होती हैं. हालांकि, अगर मिट्टी में जैविक पदार्थ अधिक मात्रा में मौजूद हों, तो पैदावार बेहतर होती है. मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए. खेत की मिट्टी भुरभुरी, उपजाऊ और खरपतवार मुक्त होनी चाहिए.
टमाटर गर्म मौसम की फसल है, लेकिन अत्यधिक गर्मी या ठंड दोनों ही इसके लिए हानिकारक हैं. यह फसल 18 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान पर अच्छे से बढ़ती है. रबी सीजन के लिए टमाटर की बुवाई और रोपाई अक्टूबर से नवंबर के अंत तक की जा सकती है. ध्यान रखें कि टमाटर की पौध पाला सहन नहीं कर सकती, इसलिए ठंड से बचाव आवश्यक है.
उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्मों का चयन टमाटर की अच्छी खेती के लिए बहुत जरूरी है. भारत में लोकप्रिय उन्नत किस्में हैं- पूसा दिव्या, पूसा गौरव, पूसा संकर 1, पूसा संकर 2, पूसा हाइब्रिड, अर्का विकास आदि. संकर किस्मों से आमतौर पर उत्पादन अधिक मिलता है, लेकिन इनके बीज महंगे होते हैं.
एक हेक्टेयर खेत की रोपाई के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है.
अच्छी पैदावार के लिए संतुलित पोषण बहुत जरूरी है.
टमाटर की फसल में झुलसा रोग (Blight) एक आम समस्या है. यदि इसके लक्षण दिखाई दें, तो मैंकोजेब (Mancozeb) 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा, कीट नियंत्रण के लिए समय-समय पर नीम तेल या जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें.
सही किस्म का चयन, उचित पोषण, और रोग प्रबंधन के साथ टमाटर की खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 600 से 800 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. यदि वैज्ञानिक तकनीक और सिंचाई प्रबंधन अपनाया जाए, तो यह फसल किसानों के लिए उच्च लाभदायक व्यवसाय सिद्ध हो सकती है.
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