Gehun Kheti Tips: गेहूं की फसल का फूड बूस्टर है पोटाश, कमी हुई तो हो जाएगा सब बर्बाद

Gehun Kheti Tips: गेहूं की फसल का फूड बूस्टर है पोटाश, कमी हुई तो हो जाएगा सब बर्बाद

गेहूं की बेहतर पैदावार के लिए सिर्फ नाइट्रोजन और फास्फोरस ही नहीं, पोटाश भी बेहद आवश्यक है. जानें पोटाश के फायदे, इसकी कमी के लक्षण और संतुलित उर्वरक प्रबंधन से कैसे बढ़ेगी आपकी फसल की गुणवत्ता व उत्पादन. जानें इसके फायदे और इससे जुड़ी सभी जानकारी.

गेहूं की फसल में पोटाश की जरूरतगेहूं की फसल में पोटाश की जरूरत
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Dec 01, 2025,
  • Updated Dec 01, 2025, 2:33 PM IST

भारत में गेहूं किसानों के लिए सबसे प्रमुख रबी फसल है. अच्छी पैदावार के लिए सिर्फ बीज या सिंचाई ही काफी नहीं होती, बल्कि मिट्टी में सभी पोषक तत्वों का संतुलन भी बहुत ज़रूरी है. इन्हीं महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है पोटाश, जो गेहूं की सेहत, उत्पादन और मजबूती में बड़ी भूमिका निभाता है.

गेहूं को क्यों चाहिए पोटाश?

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, गेहूं के पौधे को कुल 17 ज़रूरी पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है. इनमें से कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन पानी और हवा से मिलते हैं, जबकि बाकी 14 मिट्टी, खाद और फर्टिलाइज़र से मिलते हैं. पोटाश इन 14 पोषक तत्वों में से एक मुख्य पोषक तत्व है, जो पौधे को बढ़ने, मज़बूत होने और खराब मौसम का सामना करने में मदद करता है.

पोटाश की कमी से क्या होती है समस्या?

अक्सर किसान नाइट्रोजन और फास्फोरस पर अधिक ध्यान देते हैं, लेकिन पोटाश की तरफ कम ध्यान होने से कई समस्याएं दिखने लगती हैं-

  • पौधे कमजोर होकर गिरने लगते हैं
  • दाने अच्छे से नहीं भरते
  • बीमारी और कीटों का हमला बढ़ जाता है
  • सूखा या पाला पड़ने पर फसल जल्दी प्रभावित होती है

आजकल अधिक उपज देने वाली किस्में और तेज़ कृषि तकनीक का उपयोग बढ़ा है. इसके कारण मिट्टी से पोटाश का निष्कासन अधिक हो रहा है, लेकिन पोटाश की भरपाई उतनी नहीं हो पा रही. यही वजह है कि मिट्टी में पोटाश की कमी अब स्पष्ट दिखने लगी है.

पोटाश गेहूं को कैसे बनाता है मजबूत?

1. पौधे की रोग–प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है

पोटाश गेहूं के पौधों को कई प्रकार की बीमारियों, कीटों और फफूंद से लड़ने की ताकत देता है. इससे फसल सुरक्षित रहती है और उपज अच्छी मिलती है.

2. विपरीत मौसम से बचाता है

पोटाश सूखा, ओला, पाला और तेज हवा जैसी स्थितियों के दौरान पौधे की सुरक्षा करता है. यह पौधे की कोशिकाओं को मजबूत बनाता है जिससे फसल गिरती नहीं.

3. जड़ों को बनाता है मजबूत

पोटाश जड़ों की सही वृद्धि करता है. मजबूत जड़ें मिट्टी से पोषक तत्व और नमी बेहतर तरीके से ले पाती हैं. इससे पौधा लंबा, स्वस्थ और अधिक दाना भरने वाला बनता है.

4. गेहूं की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाता है

पोटाश से दाने मोटे, चमकीले और अधिक वजन वाले बनते हैं. इससे पैदावार बढ़ती है और किसान को बाजार में बेहतर भाव मिलता है.

संतुलित उर्वरक प्रयोग क्यों है ज़रूरी?

कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि खाद और उर्वरकों का संतुलित प्रयोग ही खेती की कुंजी है.
अगर मिट्टी में किसी पोषक तत्व की कमी हो जाती है तो पौधे का सही विकास रुक जाता है. इसलिए किसानों को अपनी मिट्टी की जांच करवाकर उर्वरकों की मात्रा तय करनी चाहिए.

पोटाश की सही मात्रा देने से-

  • फसल की सेहत बेहतर रहेगी
  • उत्पादन बढ़ेगा
  • और खेत की मिट्टी भी लंबे समय तक उपजाऊ बनी रहेगी

गेहूं की अच्छी और सुरक्षित पैदावार के लिए सिर्फ नाइट्रोजन और फास्फोरस ही नहीं बल्कि पोटाश का संतुलित उपयोग भी उतना ही महत्वपूर्ण है. मौसम की चुनौतियों, कीटों, बीमारियों और कमजोर मिट्टी से लड़ने के लिए पोटाश एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है. अगर किसान संतुलित उर्वरक प्रबंधन अपनाएं, तो गेहूं की पैदावार में निश्चित ही बढ़ोतरी होगी और खेतों की मिट्टी भी लंबे समय तक स्वस्थ बनी रहेगी.

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