पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले दिनों कहा है कि राज्य में इस बार धान की रोपाई 15 दिन पहले शुरू होगी. सीएम मान के अनुसार राज्य में 1 जून से धान की रोपाई शुरू हो जाएगी जबकि हर साल 15 जून से किसान इस काम को करते हैं. अब उनके इस ऐलान से कृषि विशेषज्ञ परेशान हैं. उन्होंने मान की तरफ से की गई घोषणा पर गंभीर चिंता जताई है. साथ ही साथ उन्हें ऐसा करने के लिए चेतावनी भी दी है.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार धान की रोपाई 15 दिन पहले करना गंभीर चिंता की बात है. उनकी मानें तो ऐसा करने से भूजल में तेजी से कमी आ सकती है. अखबार द ट्रिब्यून ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि सीएम मान की घोषणा से कृषि विशेषज्ञ चिंता में हैं कि किसान लंबी अवधि वाली धान की किस्मों की खेती की ओर लौट सकते हैं. इससे अक्टूबर और नवंबर में पराली जलाने और उसकी वजह से वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ सकती है.
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के पूर्व कुलपति डॉक्टर एसएस जोहल ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने मान के ऐलान को 'पूरी तरह से नासमझी' करार दिया है. साथ ही उन्होंने कई रिसर्च का हवाला देते हुए रोपाई की तारीखों को 15 जून से आगे, आदर्श तौर पर जून के अंतिम हफ्ते तक टालने की वकालत की है. रिसर्च की मानें तो महीने के अंत में बुवाई करने पर बेहतर फसल उपज नजर आई है.
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डॉक्टर जोहल ने अखबार से कहा, 'क्या वह सारा भूजल खत्म करना चाहते हैं? यह कदम पंजाब को रेगिस्तान बनाने की ओर ले जाएगा.' उन्होंने दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह को घटते जलस्तर के लिए जिम्मेदार बताया है. उनकी मानें तो इन दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरफ से खेती के लिए मुफ्त पानी और बिजली उपलब्ध कराने की लोकलुभावन नीतियों के कारण जल-स्तर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. उनका कहना था कि इन नीतियों के कारण इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है. अब धान की रोपाई पहले करने का फैसला मामले को और गंभीर कर देगा.
उन्होंने पंजाब में चल रहे पानी के संकट पर प्रकाश डाला. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि धान की कोई भी चरणबद्ध रोपाई 15 जून के बाद शुरू होनी चाहिए. डॉक्टर जोहल का कहना था कि किसान और कृषि वैज्ञानिक संसाधनों को बचाने के लिए चावल की सीधी बुवाई और क्यारियों में रोपाई जैसी कई वॉटर सेविंग्स टेक्निक्स को अमल में ला रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि रोपाई की तारीख पहले करने से किसान लंबे समय वाली धान की किस्मों की ओर बढ़ सकते हैं. इसकी वजह से ज्यादा पराली जलाई जाएगी और वायु प्रदूषण बढ़ेगा. उन्होंने सीएम मान को सलाह दी कि जनता को आकर्षित करने वाली राजनीति के आधार पर मनमाने फैसले लेने के बजाय पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिशों का पालन करना चाहिए.
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पीयू के पूर्व कुलपति बीएस ढिल्लों ने भी डॉक्टर जोहर के सुर में सुर मिलाया है. उनका कहना है कि अगर भूजल दोहन अपनी वर्तमान दर से जारी रहा तो पंजाब के 300 मीटर तक के भूजल संसाधन 20-25 सालों के अंदर खत्म हो सकते हैं. वहीं 100 मीटर की गहराई पर पानी एक दशक के अंदर गायब हो सकता है. उनका कहना है कि धान की रोपाई की तारीखों को पहले करने की जगह कम अवधि वाली धान की किस्मों को बढ़ावा देना चाहिए.