मौसम में हो रहे परिवर्तन का गेहूं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब पूरे उत्तर भारत में ठंड में भी गर्मी का मौसम चलने से फसलों पर प्रभाव की चर्चा हो रही है. सबसे अधिक चिंता गेहूं की फसल को लेकर है. किसानों की चिंता है कि अगर ठंड नहीं पड़ी, कोहरा नहीं रहा तो गेहूं की फसल अच्छी नहीं होगी. इसे देखते हुए एक्सपर्ट के हवाले से जानकारी आई है कि मौसम में हो रहे परिवर्तन से गेहूं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. साथ ही प्रदूषण के चलते भी गेहूं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. एक्सपर्ट बता रहे हैं कि लगातार पड़ने वाली धुंध से गेहूं को फायदा होगा. फिलहाल गेहूं की बिजाई चल रही है. इसके बारे में भारतीय गेहूं एवं जो अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के निदेशक डॉक्टर रत्न तिवारी ने जानकारी दी.
ठंड और कोहरा गेहूं की फसल के लिए काफी अच्छा माना जाता है. अगर शुरू में ये दोनों गेहूं की फसल को लगातार कई दिन मिल जाए तो, गेहूं की पैदावार अच्छी हो सकती है. हरियाणा में शुरू में कई दिन जबरदस्त कोहरा देखने को मिला और उसके बाद लगातार धूप पड़ रही है. जब इस बारे में भारतीय गेहूं एवं जो अनुसंधान संस्थान के निदेशक से पूछा गया तो उनका कहना था कि कोहरे का कोई असर अभी गेहूं पर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि कोहरा अगर लंबा पड़ता है तो उसका असर गेहूं पर पड़ता है और उसका फायदा होता है.
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डॉ. रत्न तिवारी ने कहा, कोहरा संकेत देता है कि तापमान कम हो गया है जिसका फायदा गेहूं की फसल को मिलता है. अभी मौसम में परिवर्तन देखने को मिल रहा है कि कभी धूप तो कभी कोहरा हो रहा है. इससे गेहूं को कोई नुकसान नहीं होगा , क्योंकि अभी गेहूं की बिजाई हुई है. वहीं जब उनसे बढ़ते प्रदूषण और धुंध के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका कोई नुकसान गेहूं की फसल पर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अभी कोई नुकसान नहीं है, क्योंकि अभी कई जगह बिजाई होनी है और जहां हुई है वहां अभी शुरुआती स्टेज है. वहीं अगर आने वाले दिनों में कोहरा पड़ता है और लगातार पड़ता है तो उसका फायदा गेहूं की फसल को होगा.
डॉ रत्न तिवारी ने जानकारी देते हुए कहा कि इस बार सरकार ने गेहूं उत्पादन लक्ष्य 115 मिलियन टन निर्धारित किया है, जो पूरा हो जाएगा. पिछले साल भी निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर लिया गया था. पिछली बार 113.29 मिलियन टन गेहूं की पैदावार हुई थी, जो इसके भी पिछले साल के लक्ष्य से ज्यादा था. डॉ रत्न तिवारी ने कहा कि इस साल बारिश देर तक हुई है. मॉनसून काफी देर तक रहा है, जिसके चलते पानी का भराव अच्छा है, जहां सिंचाई को लेकर बहुत ज्यादा सुविधाएं नहीं होतीं, वहां पर पानी का भराव है. इसलिए गेहूं की सिंचाई के लिए पानी पर्याप्त है.
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IIWBR के निदेशक ने कहा कि इस बार किसानों ने अपने खेतों में DWR 187, DWR 303, DWR 222, DWR 327 जैसी प्रचिलत गेहूं की किस्में लगाई हैं, जिनसे अच्छी पैदावार की उम्मीद है. उन्होंने किसानों से कहा कि आप मेहनत करते हैं, किसी के बहकावे में आकर ज्यादा यूरिया और दवाइयों का इस्तेमाल ना करें, जो बताया जाता है, वैसे बिजाई करें और उसी अनुसार फसल पर काम करें.