सेब में रंग, रस की कमी, शेल्फ लाइफ भी घट सकती है...किसानों के लिए खतरा बनी हीटवेव

सेब में रंग, रस की कमी, शेल्फ लाइफ भी घट सकती है...किसानों के लिए खतरा बनी हीटवेव

जहां देश के अलग-अलग इलाकों में बारिश का दौर जारी है, वहीं ठंड और बर्फ के लिए जाने जाने वाले कश्मीर में लू का आलम है. हालत ये है कि पानी के स्रोतों में सूखा पड़ गया है. खेतों में दरारें आने लगी हैं. इसका सबसे अधिक असर धान और सेब की खेती पर देखा जा रहा है.

सेब की खेतीसेब की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 25, 2025,
  • Updated Jun 25, 2025, 6:35 AM IST

कश्मीर में चल रही भीषण गर्मी ने धान की फसलों की सेहत को लेकर किसानों के बीच चिंता बढ़ा दी है. कई इलाकों में पानी की कमी के संकेत मिल रहे हैं. हालांकि, कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि हालात नियंत्रण में है, अभी तक फसलों को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. सेब की खेती पर भी हीटवेव का खतरा देखा जा रहा है. अगर स्थिति नहीं सुधरती है तो सेब के रंग और रस दोनों पर खराब प्रभाव होगा.

विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमने सभी अधिकारियों और विशेषज्ञों से बात की है. अभी तक कोई चिंताजनक रिपोर्ट नहीं है. लेकिन अगर गर्मी जारी रहती है, तो हम तैयार हैं."

लू से निपटने को इमरजेंसी प्लान तैयार

अधिकारी ने कहा कि किसी भी खराब प्रभाव से निपटने के लिए एक इमरजेंसी योजना बनाई गई है और विभाग SKUAST-कश्मीर के साथ राय-मशवरा कर रहा है. किसानों को स्थिति से निपटने में मदद करने के लिए सलाह मांगी गई है.

अधिकारी ने कहा, "कुछ अलग-अलग सूखे पैच देखे गए हैं. फील्ड अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे जहां भी संभव हो लिफ्ट सिंचाई का उपयोग करें. ये निर्देश प्रभावित क्षेत्रों में पहले से ही जारी हैं." उन्होंने कहा कि इस समय धान के खेतों का पूरी तरह पानी से डूबा होना जरूरी नहीं है और हल्की दरारें सिंचाई की जरूरत का स्वाभाविक संकेत हैं.

सर्दियों में बर्फबारी कम होने के कारण पहाड़ों में बारहमासी झील-तालाब के पानी पहले ही खत्म हो चुके हैं. घाटी में नदियों, झीलों, झरनों और कुओं में पानी का स्तर चिंताजनक रूप से कम हो गया है. गंदेरबल, श्रीनगर, बडगाम, बांदीपोरा, कुपवाड़ा, बारामुल्ला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों के किसान पहले से ही अपने धान के खेतों और सेब के बागों के लिए पानी की कमी की रिपोर्ट कर रहे हैं. सिंचाई के पानी की कमी के कारण धान की फसलें, विशेष रूप से ऊंचे क्षेत्रों में, प्रभावित होने लगी हैं.

धान और सेब की खेती प्रभावित

धान को तब तक पर्याप्त पानी की जरूरत होती है जब तक कि अनाज पक न जाए, और केवल पकने और कटाई के दौरान ही किसान अपने खेतों को सूखने दे सकते हैं. सेब के बागों को भी फल लगने के मौसम में नियमित सिंचाई की जरूरत होती है. पानी कम होने के कारण सेब में रंग, रस की कमी हो जाती है, और उनकी शेल्फ लाइफ बहुत कम हो जाती है.

हालांकि अप्रैल और मई में कभी-कभार हुई बारिश ने स्थानीय नदियों और झरनों में पानी के कम बहाव की अस्थायी रूप से भरपाई कर दी थी, लेकिन मौजूदा गर्मी की लहर स्थिति को और खराब कर रही है.

मौसम विभाग ने बढ़ाई उम्मीद

भारतीय मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में बारिश की भविष्यवाणी की है, जिससे राहत मिल सकती है. अधिकारी ने कहा, "अगर बारिश होती है, तो स्थिति ठीक हो जाएगी. अगर नहीं होती है, तो हमारे पास एक्शन प्लान तैयार है."

इस बीच, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण (आई एंड एफ सी) विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पानी की कमी के कुछ मामले सामने आए हैं, और फील्ड स्टाफ को जरूरी उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं. मौसम विभाग ने छिटपुट स्थानों पर हल्की बारिश या गरज के साथ गर्म और नम मौसम का पूर्वानुमान जारी किया है.

25 से 27 जून तक, आमतौर पर बादल छाए रहेंगे और कई स्थानों पर रुक-रुक कर हल्की से मध्यम बारिश या गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है, जबकि जम्मू संभाग में कुछ स्थानों पर भारी बारिश की संभावना है. 28-30 जून और फिर 1 और 2 जुलाई को भी इसी तरह रुक-रुक कर बारिश होने का पूर्वानुमान है.

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