उत्तर प्रदेश में खाद के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है. खाद के लिए किसान दर-दर की ठोकरें खा रहा हैं. इस बीच किसानों के राहत भरी खबर सामने आई है. राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि किसानों के द्वारा की जा रही रबी फसलों की बुवाई को लेकर फास्फेटिक उर्वरकों की खेप शुक्रवार को गोरखपुर समेत अलग-अलग जिलों में पहुंचेंगी. उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा माह अक्टूबर, 2024 में 150 रैक फास्फेटिक उर्वरक डिस्पैच की गई थी, जिनकी कुल मात्रा 363132 मेट्रिक टन मिली थी. वर्तमान 20 नवंबर को 160 फास्फेटिक उर्वरक रैक डिस्पैच की गई है, जिनकी कुल मात्रा 369824 मेट्रिक टन प्रदेश को मिलेगी.
बीते वर्ष की तुलना इस साल नवंबर में फास्फेटिक उर्वरकों की आपूर्ति बढ़ गई है. शाही ने कहा कि शुक्रवार को 8 रैक बाराबंकी, हरदोई, कानपुर नगर, देवरिया, मिर्जापुर, अलीगढ़, मैनपुरी, प्रयागराज एवं फतेहपुर जनपदों को आज प्राप्त होगी तथा जनपद गोरखपुर, संतकबीरनगर, जौनपुर एवं बाराबंकी में लग जाएगी. उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा रोजाना 12 फास्फेटिक उर्वरक रैक डिस्पैच की जा रही है, जो 3 से 4 दिनों में जनपदों में पहुंच रही है.
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही उर्वरक की कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए. उन्होंने खाद सप्लायर कंपनियां के प्रतिनिधियों को निर्देश देते हुए कहा कि खाद कंपनियों द्वारा थोक और फुटकर उर्वरक विक्रेताओं को उर्वरक पहुंचाने की प्रक्रिया में किसी प्रकार से देरी नहीं करेंगे. साथ ही कोई भी उर्वरक कंपनियां कोई अन्य उत्पाद को टैगिंग और होल्डिंग नहीं करेंगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश के समस्त उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर उर्वरक का विक्रय बोरी में दर्ज अधिकतम मूल्य से अधिक दर पर बिक्री न कर रहे हो.
कृषि मंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि कालाबाजारी/अधिक मूल्य पर बिक्री/उर्वरकों की होल्डिंग तथा टैगिंग से संबंधित मामला सामने आता है तो तत्काल सम्बन्धित के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराते हुए उर्वरक विक्रय प्राधिकार पत्र को भी निरस्त करते हुए कड़ी कार्रवाई की जाएं. शाही ने कहा कि किसानों को फसल बुवाई में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. प्रदेश के किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार उर्वरकों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना प्रदेश सरकार का दायित्व है.
यूपी के बांदा, संभल, लखनऊ सुल्तानपुर समेत कई जिले में डीएपी के लिए मारामारी देखी जा रही है. खाद के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है. किसान दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. वहीं किसानों के पूरे-पूरे दिन लाईन में खड़े रहते हैं बावजूद खाद नहीं मिल पा रही. उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. किसान इस वक्त गेंहू और सरसों की बुवाई में लगे हैं ऐसे में अगर समय रहते खाद नहीं मिलती है तो फसलों को नुकसान हो सकता है. गोबर और पारंपरिक खाद किसानों के पास बेहद सीमित मात्रा में होती है इसलिए किसान मुख्यतः यूरिया और DAP खाद पर ही निर्भर होते हैं.
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