Crop Loss: तेलंगाना में सूखे से डरे किसान, सता रही है फसल नुकसान की बड़ी चिंता

Crop Loss: तेलंगाना में सूखे से डरे किसान, सता रही है फसल नुकसान की बड़ी चिंता

Crop Loss: मॉनसून के जल्दी आने से शुरुआत में किसानों में उम्मीद जगी थी. बारिश से उत्साहित होकर किसानों ने जून के पहले हफ्ते में ही कपास, धान और बाकी सिंचित फसलों की बुवाई कर डाली. किसान अब चिंतित हैं क्योंकि दो हफ्ते से ज्‍यादा का समय हो गया है और बारिश नहीं हुई है. किसानों ने कहा कि उन्होंने बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेकर बड़ा निवेश किया था.

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क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Jun 24, 2025,
  • Updated Jun 24, 2025, 2:07 PM IST

तेलंगाना में इस साल मॉनसून ने समय से पहले एंट्री मारी थी लेकिन अब यहां पर सूखे ने किसानों को चिंता बढ़ा दी है. राज्‍य के आदिलाबाद जिले में इस समय खरीफ का सीजन चल रहा है जिसे स्‍थानीय भाषा में वनकालम के तौर पर जाना जाता है. लेकिन इस सीजन में कई फसलों की बुवाई करने वाले किसानों के लिए सूखा एक बड़ी परेशान की वजह बन गया है. असामान्य तौर लंबे समय से जारी सूखे की स्थिति में किसानों को फसल नुकसान का डर सताने लगा है.

जून में ही बो दी फसलें 

मॉनसून के जल्दी आने से शुरुआत में किसानों में उम्मीद जगी थी. बारिश से उत्साहित होकर किसानों ने जून के पहले हफ्ते में ही कपास, धान और बाकी सिंचित फसलों की बुवाई कर डाली. आदिलाबाद, मंचेरियल, निर्मल और कुमराम भीम आसिफाबाद जिलों में कुल मिलाकर 10.67 लाख एकड़ में व्यावसायिक फसलें उगाई गईं. किसानों को उम्मीद थी कि बीजों के अंकुरण और फसल की वृद्धि में मदद के लिए लगातार बारिश होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. 

बारिश में 60 फीसदी तक कमी 

बारिश के आंकड़े चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं. मंचेरियल जिले में 1 से 23 जून तक औसतन 48 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य तौर पर 121 मिमी बारिश होती है, जो 60 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है. इसी तरह से आदिलाबाद जिले में सामान्य 143 मिमी बारिश के मुकाबले 96.6 मिमी बारिश हुई, जो 32 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है. कुमराम भीम आसिफाबाद और निर्मल दोनों जिलों में बारिश में 33 प्रतिशत तक की कमी देखी गई. 

किसानों को दोबारा बोने पड़े बीज 

किसान अब चिंतित हैं क्योंकि दो हफ्ते से ज्‍यादा का समय हो गया है और बारिश नहीं हुई है. आदिलाबाद मंडल के जिमदापुर गांव के किसान चिलकुरी मोहन ने कहा, 'मुझे दो बार कपास के बीज बोने पड़े. जून के पहले हफ्ते में बोए गए बीज अंकुरित नहीं हुए. अब मुझे डर है कि बारिश की कमी से बीज का दूसरा दौर भी सूख सकता है जिससे बड़ा नुकसान होगा.'

किसानों ने कहा कि उन्होंने बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेकर बड़ा निवेश किया था. इन कर्जों का प्रयोग बीज खरीदने, जमीन जोतने और मजदूरी और खेती के दूसरे कामों के लिए किया गया था. किसानों की मानें तो इनपुट लागत भी तेजी से बढ़ी है. इसमें बीज, जुताई और मजदूरी की लागत शामिल है. मजदूरी के लिए किसान  पड़ोसी महाराष्‍ट्र से कई श्रमिकों को काम पर रखते हैं. 

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