Farmer Story: किसान भाई बैंगन की खेती कर अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं. यह कहना है एक्सपर्ट और “वेजिटेबल मैन ऑफ लखनऊ” के नाम से मशहूर विनोद कुमार पांडेय का जिन्होंने पिछले 30 सालों से अपने घर में एक भी सब्जी नहीं खरीदी है. लखनऊ के गोमतीनगर इलाके के रहने वाले विनोद कुमार पांडेय ने इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में बताया कि वो 60 गमलों में बैंगन लगाया हुआ है, इस सीजन में अब तक 25 से 30 किलो बैंगन की पैदावार हुई है. उन्होंने कहा कि मेरा मकसद सब्जियों को बेचना नहीं है. घर और रिश्तेदारों के बीच में बैंगन को बांट लिया जाता है.
मौसमी सब्जियों को अपने मकान के छत पर उगाने वाले विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि अगर आप छत, पार्क या खाली पड़ी जमीन पर बैंगन की खेती करना चाहता है तो 3 मुख्य बातों का ध्यान रखें. जैसे सबसे पहले जहां खेती करनी है उस जगह की मिट्टी में किसी अच्छे तालाब की मिट्टी को जरूर मिला दें. दूसरा इसके बाद अपनी रसोई से निकलने वाले वेस्ट और गोबर को खाद के तौर पर इस्तेमाल करें. तीसरा कीड़ों से बचाने के लिए किसी कीटनाशक दवा का इस्तेमाल न करके नीम के तेल का करें या फिर धतूरे के साथ ही नीम की पत्तियों को पीसकर एक लिक्विड बना लें. उसका छिड़काव करें. इन तीन प्रमुख बातों का अगर ध्यान रख लेंगे तो यकीन मानिए चाहे बैंगन हो या फिर कोई भी सब्जी उसकी पैदावार बंपर होगी और हद से ज्यादा मुनाफा होगा.
लखनऊ के गोमतीनगर के रहने वाले विनोद पांडेय ने आगे बताया कि जब उन्होंने अपने पार्क की छोटी सी जमीन और छत के गमले में ही 30 किलो से ज्यादा बैंगन उगा लिया है. इस तरीके को अपना कर अगर देश के किसान जिसके पास बड़ी जमीन होती है खेती के लिए तो वो और कई गुना ज्यादा इसकी पैदावार कर सकता है बस शर्त ये हैं कि तरीका यही देसी होना चाहिए. उन्होंने बताया कि बैंगन की खेती करने का सही वक्त जुलाई अगस्त जनवरी फरवरी अप्रैल मई होते हैं. इसमें इसकी पैदावार अच्छी होती है. ऑर्गेनिक तरीके से अगर खेती करेंगे तो यकीनन पैदावार अच्छी होगी.
उन्होंने कहा कि बैंगन अच्छी क्वालिटी का होने पर मड़ियों और मार्केट में खूब बिकता है. लोग इसे खूब चाव से खाते भी हैं. लोगों को बैंगन खूब पसंद भी आता है, क्योंकि यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है, लेकिन कई बार बैंगन की खेती का सही तरीका न पता होने की वजह से किसान अच्छा बैंगन नहीं उगा पाते हैं या तो इसकी खेती करते भी है तो उसमें कीड़े लग जाते हैं. जिस वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. बैंगन एक वर्ष में तीन बार खाया जा सकता है. नर्सरी तैयार करने के लिए जून-जुलाई और रोपाई के लिए जुलाई-अगस्त अच्छे समय हैं. बैंगन की फसल को उचित जल निकास और बलुई दोमट मिट्टी चाहिए.
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