केंद्र और राज्य सरकार किसानों को फसल विविधीकरण को लेकर प्रेरित कर रही हैं. ताकि, मिट्टी की पोषकता बनी रहे और उत्पादन ज्यादा हो सके. इसके अलावा प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के प्रगतिशील किसान ने फसल विविधीकरण को अपनाते हुए पारंपरिक फसल धान की बुवाई की बजाय इस बार बाजरा की खेती की है. प्राकृतिक तरीके से बाजरा की खेती किए जाने से लागत घट गई है, जबकि खेत में लहलहाती फसल से बंपर उपज मिलने की संभावना है.
यूपी कृषि विभाग के अनुसार फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती के जरिए उत्तर प्रदेश के वाराणसी के प्रगतिशील किसान उदयभान सिंह ने 2 एकड़ खेत में बेहद कम लागत में बाजरा की खेती की है. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की मदद से उन्हें जानकारी मिली की धान फसल की उपज के लिए इलाके का मौसम ठीक नहीं है और उन्हें बाजरा की बुवाई करनी चाहिए. किसान ने खेत में बाजरे की लहलहाती फसल को लेकर कहा कि बंपर उपज मिलने की उम्मीद है, जिससे उन्हें तगड़ा मुनाफा होगा.
वाराणसी के विकास खंड सेवापुरी के ग्राम दौलतिया के किसान उदयभान सिंह को कृषि विभाग की ओर से निशुल्क बाजरे की मिनीकिट दी गई थी. समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों से उचित सलाह और मार्गदर्शन भी उन्होंने लिया, जिससे आज उनके दो एकड़ खेत में कम लागत और कम पानी से श्री अन्न बाजरा लहलहा रहा है. प्रगतिशील किसान उदयभान ने बताया कि इस बार मैने बाजरे की खेती की है. कृषि विभाग की ओर से बताई गई तकनीक से खेती की है, जिससे उनकी फसल लहलहा रही है. किसान ने कहा कि किसानों को कोई भी फसल बुवाई से पहले कृषि विशेषज्ञों से सलाह जरूर लेनी चाहिए ताकि कम लागत में सही फसल की बुवाई की जा सके.
किसान ने बताया कि पहले वह धान की फसल करते थे. इस बार शुरुआत में बारिश कम हुई तो कृषि विभाग का मार्गदर्शन मिला कि धान की बजाय बाजरे की खेती की जाए. इस पर किसान ने 2 एकड़ खेत में बाजरे की बुवाई की है. किसान ने कहा कि इस बार मेरा बाजरा काफी अच्छा आया है. इसमें लागत बिल्कुल जीरो है. क्योंकि इसे नेचुरल फार्मिंग विधि से किया है, जिसकी वजह से केवल बीज और जुताई का पैसा लगा है. जबकि, सिंचाई, कीटनाशक-दवाओं, खरपतावर प्रबंधन और मजदूरी आदि पर खर्च नहीं करना पड़ा है.
प्रगतिशील किसान उदयभान सिंह ने कहा कि बाजरे की खेती के लिए बीज और जुताई के अलावा एक भी पैसा नहीं लगा है. किसान ने कहा कि फसल अच्छी आई और भुट्टे पर दाने बढ़िया हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि औसत उत्पादन में लगभग 25-30 क्विंटल होने की संभावना है. बता दें कि बाजरे की खेती अधिकतम 85 दिनों में तैयार हो जाती है.
(नोट- स्थान के हिसाब से खेती लागत और कमाई आदि में बदलाव संभव है.)