यूपी सहित अन्य राज्यों में रबी सीजन के गेहूं की सरकारी खरीद 01 अप्रैल से शुरू हो गई थी. मार्च में बेमौसम आंधी बारिश के कारण किसानों की गेहूं की उपज व्यापक पैमाने पर खराब हुई. इस वजह से किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं बेचने में रुचि नहीं दिखाई. अप्रैल के अंतिम सप्ताह में योगी सरकार ने किसानों से खराब गुणवत्ता का गेहूं भी खरीदने की केन्द्र सरकार से अनुमति ले ली. इसके बावजूद किसानों का रुख सरकारी खरीद केन्द्रों की ओर नहीं हो पा रहा है. इसके मद्देनजर अब योगी मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को खराब गेहूं की खरीद पर अधिकतम 37.18 रुपये प्रति कुंतल की दर से कटौती कर इसे खरीदने को मंजूरी यह कहते हुए दे दी है कि कटौती की भरपाई किसान के बजाय सरकार करेगी. ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या अब भी किसान खुद को सरकारी खरीद केन्द्रों पर उपज बेचने के लिए आने से रोक पाएंगे और क्या सरकार गेहूं खरीद का अपना लक्ष्य पूरा कर पाएगी.
केन्द्र सरकार ने इस साल गेहूं का एमएसपी 2125 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित करते हुए इस साल रबी सीजन में 341 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद करने का लक्ष्य तय किया है. इसमें से लगभग 200 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद 2 मई तक हो चुकी है. गेहूं की सरकारी खरीद में अब तक सबसे अहम भूमिका पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश ने निभाई है.
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पंजाब ने दो मई तक देश में सर्वाधिक 110 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कर ली थी. वहीं हरियाणा ने खरीद के लक्ष्य 75 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष 59 लाख मीट्रिक टन और मध्य प्रदेश ने 80 लाख मीट्रिक टन खरीद के लक्ष्य का पीछा करते हुए 57 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कर ली है. इसके सहारे केन्द्र सरकार को गेहूं की खरीद का लक्ष्य पूरा होने का भरोसा है.
यूपी की अगर बात की जाए, तो देश में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य होने के बावजूद यूपी पिछले दो सालों से इसकी सरकारी खरीद में फिसड्डी साबित हो रहा है. पिछले साल यूपी ने 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया था, मगर खरीद सिर्फ 4 लाख मीट्रिक टन ही हो सकी थी.
इस वजह से केन्द्र सरकार ने इस साल यूपी का लक्ष्य कम करके 35 लाख मीट्रिक टन कर दिया है. हालांकि योगी सरकार ने इस साल भी गेहूं की खरीद का अपना लक्ष्य 60 लाख मीट्रिक टन ही रखा है. इसके सापेक्ष शुक्रवार तक यूपी में 44,400 किसानों से 1.89 लाख मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद हो पाई थी. इस साल राज्य के 1,59,119 किसानों ने एमएसपी पर गेहूं बेचने के लिए पंजीकरण कराया है. इसके हिसाब खरीद सत्र में पिछले लगभग डेढ़ माह के दौरान एक चौथाई पंजीकृत किसानों ने ही सरकार को अपना गेहूं बेचा है.
योगी सरकार ने भी मध्य प्रदेश और हरियाणा की तर्ज पर यूपी में मौसम का मिजाज बिगड़ने के कारण खराब हुए गेहूं को भी किसानों से खरीदने की पहल की. जिससे किसान अपनी उपज को सरकारी खरीद में बेचने के लिए प्रोत्साहित हों. इसके लिए यूपी सरकार ने खराब गुणवत्ता के गेहूं को श्रेणीबद्ध कर इसकी कीमत में होने वाली कटौती का फार्मूला भी तय कर लिया है. इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है.
इसके मुताबिक बेमौसम आंधी, बारिश और ओलावृष्टि के कारण खराब हुए गेहूं की एमएसपी पर खरीद में अधिकतम 37.18 रुपये प्रति कुंतल की दर से कटौती होगी. खराब गेहूं की खरीद के लिए तय मानकों के मुताबिक 6 फीसदी या उससे कम मात्रा में टूटे या सिकुड़े गेहूं की खरीद पर कोई कटौती नहीं की जाएगी.
इसके अलावा 6 से 8 प्रतिशत तक सिकुड़े या टूटे गेहूं पर 5.31 रुपये प्रति कुंतल की दर से कटौती होगी. जबकि 8 से 10 प्रतिशत तक टूटे या सिकुड़े गेहूं पर 10.62 रुपये प्रति कुंतल और 10 से 12 प्रतिशत तक टूटे या सिकुड़े गेहूं पर 15.93 रुपये प्रति कुंतल की दर से कटौती होगी. ज्यादा खराब उपज के बारे में कटौती के तय मानकों के मुताबिक 12 से 14 प्रतिशत तक टूटे या सिकुड़े गेहूं पर 21.25 रुपये प्रति कुंतल, 14 से 16 प्रतिशत तक टूटे या सिकुड़े गेहूं पर 26.56 रुपये प्रति कुंतल और 16 से 18 प्रतिशत तक टूटे या सिकुड़े गेहूं पर 31.87 रुपये प्रति कुंतल की दर से कटौती होगी. उपज में इससे अधिक टूट फूट होने पर 37.18 रुपये प्रति कुंतल की दर से कटौती होगी. सरकार ने स्पष्ट किया है कि उपज की बिक्री पर होने वाली इस कटौती की भरपाई किसान की जेब से नहीं, बल्कि सरकारी खजाने से होगी.
योगी सरकार ने हाल ही में गेहूं की सरकारी खरीद की समीक्षा करते हुए सभी जिलों में स्थानीय प्रशासन को सरकारी क्रय केन्द्रों पर किसानों की सुविधा एवं सहूलियत का पूरा ध्यान रखने, गांव गांव जाकर किसानों को एमएसपी पर गेहूं बेचने के लिए प्रोत्साहित करने और इस काम में ग्राम प्रधानों का भी सहयोग लेने सहित तमाम अन्य निर्देश जारी किए थे. राज्य के मुख्य सचव दुर्गाशंकर मिश्र ने सभी मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में गेहूं की खरीद के एवज में किसानों काे कीमत का भुगतान 3 दिन के भीतर सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया था.
इसके अलावा मंडी और खाद्य रसद विभाग के अधिकारियों को ग्राम प्रधानों की मदद लेने काे भी कहा था, जिससे प्रधान किसानों को एमएसपी पर गेहूं बेचने के फायदों से अवगत कराएं. इस बीच ललितपुर जिले के जिलाधिकारी ने तो मोबाइल क्रय केन्द्र तक की शुरुआत करते हुए किसानों से गांव में ही जाकर गेहूं की खरीद करने की सुविधा मुहैया करा दी. इसके बावजूद किसान सरकार को अपनी उपज बेचने के इचछुक नहीं दिख रहे हैं.
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प्राप्त जानकारी के अनुसार यूपी में किसानों द्वारा एमएसपी पर गेहूं बेचने से कतराने की 3 मुख्य वजहें सामने आ रही हैं. इनके मुताबिक आटा बनाने वाली अग्रणी कंपनी आईटीसी और अडाणी समूह सहित तमाम अन्य छोटी बड़ी कंपनियों ने मोबाइल क्रय केन्द्रों के माध्यम से गांव गांव जाकर एमएसपी से अधिक कीमत पर किसानों से गेहूं खरीदना शुरू कर दिया है.
इसके अलावा एमएसपी से 100 रुपये प्रति कुंतल तक ज्यादा कीमत पर मंडी में आढ़ती किसान से नकद भुगतान कर गेहूं खरीद रहे हैं. तीसरी वजह, आने वाले दो महीनों में गेहूं की कीमत बढ़ने की उम्मीद है, जिसके कारण किसानों ने अपना अच्छा गेहूं स्टॉक करके सिर्फ खराब गुणवत्ता का ही गेहूं एमएसपी पर बेचने की रणनीति बनाई है.
मौजूदा हालात को देखते हुए यूपी की योगी सरकार भी गेहूं की खरीद को लेकर जमीनी हकीकत से वाकिफ है. किसानों को सरकारी खरीद में शामिल होने के लिए लुभाने के तमाम प्रयासों के बावजूद सरकार पशोपेश में है कि गेहूं की खरीद का लक्ष्य इस साल भी पूरा हो पाएगा या नहीं. योगी कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार द्वारा जारी बयान में भी इस बात के स्पष्ट संकेत दिए गए हैं.
सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत किसानों को उनकी उपज का अधिकाधिक लाभ पहुंचाया जाना, राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य है. सरकार ने कहा कि गेहूं क्रय नीति में इस साल गेहूं का संभावित क्रय लक्ष्य 60 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है.
इस लक्ष्य को पाने के लिए प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद 01 अप्रैल से चल रही है. यह 15 जून तक चलेगी. सरकार ने अपने बयान में स्वीकार किया, ''निर्धारित अवधि तक सम्भावित लक्ष्य के सापेक्ष वास्तविक क्रय की स्थिति का आकलन किया जाना अभी संभव नहीं है. इन तथ्यों तथा किसानों के व्यापक हित के दृष्टिगत ही खराब गुणवत्ता के गेहूं की भी खरीद एमएसपी पर करने निर्णय लिया गया है.'