गन्ने की फसल में टॉप बोरर और मिली बग कीटों के अटैक के कारण इस 15 से 20 फीसदी तक पैदावार में गिरावट आ सकती है. यह जानकारी मोदी शुगर मिल, मोदी नगर (गाजियाबाद) के गन्ना विकास महाप्रबंधक राहुल त्यागी ने दी है. उन्होंने बताया कि इस साल सितंबर माह तक गन्ने की फसल में टॉप बोरर कीट का हमला जारी रहा, जबकि सामान्य तौर पर यह कीट जुलाई माह तक ही ज्यादा सक्रिय रहता है. जलवायु परिवर्तन और तापमान में बदलाव के कारण इस साल टॉप बोरर और मिली बग कीटों ने गन्ने की फसल को सितंबर तक भारी नुकसान पहुंचाया. नतीजतन, जिन किसानों को पहले प्रति हेक्टेयर औसतन 80 टन गन्ने की उपज मिलती थी, उनकी फसल इस बार 60 से 65 टन प्रति हेक्टेयर तक ही सीमित रह गई है.
इससे किसानों की आमदनी में गिरावट का अनुमान है और शुगर मिलों के चीनी उत्पादन के लक्ष्यों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है. राहुल त्यागी ने बताया कि इस वर्ष मिली बग के हमले में भी वृद्धि हुई है. मिली बग एक रस चूसने वाला कीट है, जो गन्ने की बढ़वार और चीनी उत्पादन पर प्रतिकूल असर डालता है. यह कीट अक्टूबर तक गन्ने की फसल पर सक्रिय था. इससे किसानों और चीनी मिलों की चिंता बढ़ी हुई है.
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कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक टॉप बोरर कीट (Top Borer), जिसे स्थानीय भाषा में कंसुवा या कन्फ्ररहा कहा जाता है, गन्ने की फसल के लिए सबसे हानिकारक कीटों में से एक माना जाता है. यह कीट गन्ने के पौधों के ऊपरी हिस्से में छेद बनाकर तने में प्रवेश करता है और सुरंगों के जरिए अंदर तक पहुंच जाता है. इसके परिणामस्वरूप गन्ने के कल्ले छोटे और कमजोर हो जाते हैं, जिससे गन्ना पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता. यदि इस कीट का नियंत्रण समय पर नहीं किया जाता, तो यह पूरी फसल को नष्ट कर सकता है और किसानों को भारी नुकसान हो सकता है. टॉप बोरर कीट का जीवन चक्र साल में 4 से 5 बार पूरा होता है और इसका प्रकोप फरवरी से अक्टूबर तक जारी रहता है.
गन्ने की फसल के लिए मिली बग (Millepede) भी एक बड़ा खतरा है. यह कीट गन्ने के पौधों की पत्तियों और तनों से रस चूसता है, जिसके कारण पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनकी वृद्धि रुक जाती है. मिली बग के हमले से गन्ने की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, और पौधों पर कालिख के फफूंद का विकास हो सकता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन प्रभावित होता है. इसके अलावा, मिली बग जड़ों को भी नुकसान पहुंचाती है, जिससे गन्ना बौना और पतला हो जाता है. मिली बग का सबसे अधिक प्रकोप महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे गन्ना उगाने वाले राज्यों में देखा गया है.
हालांकि, किसान कीटों के प्रकोप से बचने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं, फिर भी इस वर्ष कीटों का हमला बहुत बढ़ गया है और किसानों को अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे. इससे न केवल उनकी पैदावार में गिरावट आई है, बल्कि उत्पादन की लागत में भी वृद्धि हुई है, क्योंकि किसानों को कीटनाशकों पर अधिक खर्च करना पड़ा है. इसके बावजूद, उपज में होने वाली कमी और गुणवत्ता में गिरावट के कारण किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
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