
आपने खेत में देखा होगा कि टमाटर के फल फट जाते हैं. फल का रस और गूदा बाहर आ जाता है. इस तरह से फल फटने की समस्या काफी आम है,लेकिन इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. जब टमाटर का फल फट जाता है, तो तोड़ने वाला कोई होता है और न ही खदीदने वाला. उसकी बाजार में कोई कीमत नहीं रह जाती, जिससे किसान को कम भाव और नुकसान का सामना करना पड़ता है.
टमाटर का फटना मुख्य रूप से पानी की सप्लाई और तापमान में अचानक बदलाव के कारण होता है, इन दोनों वजहों से टमाटर का गूदा त्वचा से तेजी से बढ़ता है, जिससे छिलका फट जाता है. इसे रोकने के लिए नियमित और जरूरत भर सिंचाई, मल्चिंग (पुआल/खाद), बोरोन जैसे पोषक तत्वों की कमी पूरी करना और कम नाइट्रोजन वाले संतुलित खादों का उपयोग करना जरूरी है.
डंपिंग ऑफ (नर्सरी)
बुवाई से 24 घंटे पहले बीजों को ट्राइकोडर्मा विरिडे 4 g/kg या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 10 g/kg बीज के हिसाब से ट्रीट करें. स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस को 2.5 kg/ha की दर से मिट्टी में 50 kg FYM के साथ मिलाकर डालें. पानी जमा होने से बचना चाहिए. कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 g/lit की दर से 4 lit/sq.m. की दर से डालें.
लीफ स्पॉट
लीफ स्पॉट को जिनेब या मैन्कोजेब 2 g/lit स्प्रे करके कंट्रोल किया जा सकता है.
लीफ कर्ल
कीट वेक्टर (व्हाइटफ्लाई) को मारने के लिए मिथाइल डेमेटन या मोनोक्रोटोफॉस या डाइमेथोएट जैसे सिस्टमिक कीटनाशकों का 2 ml/lit. स्प्रे करें.
टमाटर स्पॉटेड विल्ट बीमारी
कार्बोफ्यूरान 3 G 1 kg डालें. ए.आई./हेक्टेयर नर्सरी में बुवाई के समय और दूसरी बार 1.25 किग्रा ए.आई./हेक्टेयर मुख्य खेत में रोपाई के 10 दिन बाद और एन्डोसल्फान 35 ईसी 1.5 मिली/लीटर के 3 छिड़काव रोपाई के 25, 40, 55 दिन बाद करें.