Tomato Farming: इन दो वजह से फट जाते हैं टमाटर के फल, फसल पर तुरंत छिड़कें ये दवा

Tomato Farming: इन दो वजह से फट जाते हैं टमाटर के फल, फसल पर तुरंत छिड़कें ये दवा

टमाटर के फलों के फटने का सबसे बड़ा कारण अनियमित सिंचाई और बोरोन की कमी है. विशेषज्ञों ने मल्चिंग, कैल्शियम-बोरोन स्प्रे और नियमित नमी प्रबंधन को प्रभावी समाधान बताया.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 08, 2025,
  • Updated Dec 08, 2025, 3:24 PM IST

आपने खेत में देखा होगा कि टमाटर के फल फट जाते हैं. फल का रस और गूदा बाहर आ जाता है. इस तरह से फल फटने की समस्या काफी आम है,लेकिन इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. जब टमाटर का फल फट जाता है, तो तोड़ने वाला कोई होता है और न ही खदीदने वाला. उसकी बाजार में कोई कीमत नहीं रह जाती, जिससे किसान को कम भाव और नुकसान का सामना करना पड़ता है.

टमाटर का फटना मुख्य रूप से पानी की सप्लाई और तापमान में अचानक बदलाव के कारण होता है, इन दोनों वजहों से टमाटर का गूदा त्वचा से तेजी से बढ़ता है, जिससे छिलका फट जाता है. इसे रोकने के लिए नियमित और जरूरत भर सिंचाई, मल्चिंग (पुआल/खाद), बोरोन जैसे पोषक तत्वों की कमी पूरी करना और कम नाइट्रोजन वाले संतुलित खादों का उपयोग करना जरूरी है.

फल फटने की समस्या क्यों होती है? 

  • टमाटर के फल फटने के पीछे मुख्य दो कारण हैं. 1-असंतुलित या अनियमित सिंचाई. 2- बोरोन की कमी. 
  • पानी की अधिक सप्लाई: सूखे मौसम के बाद अचानक भारी बारिश या ज्यादा पानी देने से गूदा तेजी से फैलता है और फट जाता है.
  • नमी में अंतर: मिट्टी में नमी का स्तर लगातार बदलना (बहुत सूखा फिर बहुत गीला). इससे भी फल फटता है.
  • पोषक तत्वों की कमी: खासकर बोरोन (Boron) और कैल्शियम की कमी से फल फटता है.
  • बहुत अधिक तापमान: गर्म दिन और ठंडी रातें या तेज धूप और गीली मिट्टी. इससे तापमान में अंतर आता है और फल फटता है.
  • ज्यादा नाइट्रोजन: नाइट्रोजन वाली खादों का अधिक उपयोग भी दरारें पैदा कर सकता है.  

समस्या का समाधान करने के लिए क्या करें?

  • फसल में सिंचाई नियमित रूप से करें और पानी देने के अंतर से बचें. समान मात्रा में पानी दें.
  • बोरोन और कैल्शियम नाइट्रेट का छिड़काव करें ताकि पौधों को जरूरी पोषक तत्व मिल सकें.
  • इसके लिए, टमाटर बुआई से पहले 10 किलो बोरेक्स पाउडर प्रति हेक्टेयर बुरकाव करे.इसे बेसल डोज के रूप में रखें.
  • छिड़काव की सही मात्रा रखें. जैसे खड़ी फसल में प्रति लीटर 2 ग्राम बोरोन, और 1 ग्राम कैल्शियम नाइट्रेट मिलाएं और छिड़काव करें.
  • मल्चिंग भी अच्छा उपाय है. पौधों के आधार के चारों ओर पुआल, घास या खाद की 2-3 इंच मोटी परत बिछाएं, इससे नमी बनी रहती है.
  • ऐसी टमाटर की किस्में चुनें जो फटने के प्रति प्रतिरोधी हों (resistance to cracking). बाजार में ऐसी किस्में आसानी से मिलती हैं.
  • जल निकासी का इंतजाम करें. इसके लिए ऊंची क्यारियों या गमलों का उपयोग करें ताकि पानी जमा न हो. 

टमाटर की बीमारियां

डंपिंग ऑफ (नर्सरी)

बुवाई से 24 घंटे पहले बीजों को ट्राइकोडर्मा विरिडे 4 g/kg या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 10 g/kg बीज के हिसाब से ट्रीट करें. स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस को 2.5 kg/ha की दर से मिट्टी में 50 kg FYM के साथ मिलाकर डालें. पानी जमा होने से बचना चाहिए. कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 g/lit की दर से 4 lit/sq.m. की दर से डालें.

लीफ स्पॉट

लीफ स्पॉट को जिनेब या मैन्कोजेब 2 g/lit स्प्रे करके कंट्रोल किया जा सकता है.

लीफ कर्ल

कीट वेक्टर (व्हाइटफ्लाई) को मारने के लिए मिथाइल डेमेटन या मोनोक्रोटोफॉस या डाइमेथोएट जैसे सिस्टमिक कीटनाशकों का 2 ml/lit. स्प्रे करें.

टमाटर स्पॉटेड विल्ट बीमारी

कार्बोफ्यूरान 3 G 1 kg डालें. ए.आई./हेक्टेयर नर्सरी में बुवाई के समय और दूसरी बार 1.25 किग्रा ए.आई./हेक्टेयर मुख्य खेत में रोपाई के 10 दिन बाद और एन्डोसल्फान 35 ईसी 1.5 मिली/लीटर के 3 छिड़काव रोपाई के 25, 40, 55 दिन बाद करें.

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