धान, गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की बजाय मिर्च की फसल किसानों को ज्यादा लाभ देती है. लेकिन अगर किस्मों का सही चयन हो और खेती वैज्ञानिक तरीके से हो तब ऐसा संभव है. इसलिए मिर्च की खेती करने से पहले इसकी किस्मों पर ध्यान देना चाहिए. कई ऐसी किस्में हैं जो गर्मी के समय मिर्च की बंपर पैदावार दे सकती हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मिर्च की प्रमुख किस्मों में पूसा सदाबहार, ज्वाला, अर्का लोहित, अर्का सफल, अर्का श्वेता, अर्का हरिता, मथानिया, पंत सी-1, पंत सी-2, जी-3, जी-5, हंगेरियन वैक्स (पीले रंग वाली), जवाहर 218, आरसीएच-1 और एल.सी.ए.-206 शामिल हैं.
पूसा सदाबहार किस्म की मिर्च छह से आठ सेमी. लंबी होती है और इस किस्म से करीब एक गुच्छे में 12 से 14 मिर्च पैदा होती हैं. यह किस्म रोपाई के बाद मात्र 60 से 70 दिन बाद ही तैयार हो जाती है. यह एक बारह मासी किस्म है. यह किस्म एक हेक्टेयर में 40 क्विंटल तक की पैदावार देती है. इस किस्म की खेती करने वाले किसान को एक हेक्टेयर खेत में मात्र 150 ग्राम बीज की ही आवश्यकता पड़ती है.
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यह ज्यादा पैदावार देने वाली किस्म है. हाइब्रिड किस्मों में इसकी गिनती होती है. इस किस्म की उपज क्षमता 75-80 क्विंटल प्रति एकड़ बताई गई है. अर्का हरिता भी अधिक उपज देने वाली हाइब्रिड किस्म है. यह काफी तीखी मिर्च है. खास बात यह है कि यह मिर्च वेनल मोटल वायरस के प्रति सहनशील है. उपज क्षमता 80-100 क्विंटल प्रति एकड़ है.
सबसे पहले फफूंदनाशक से बीजोपचार करें. उसके 2-4 घंटे बाद जैव उर्वरक से करें और छाया में सुखाकर उसी दिन बुवाई करें. नर्सरी में कीटों की रोकथाम के लिए 2 ग्राम फोरेट 10 वर्गमीटर की दर से जमीन में मिलाएं या मिथाइल डिमेटोन/ एसीफेट 1 मि.ली./ लीटर पानी का पौधों पर छिड़काव करें.
रोपाई से पहले खेत की 4-5 बार अच्छे तरीके से जुताई और समतल करें. फिर आवश्यकतानुसार आकार के बैड बनाएं. बुवाई से पहले मिट्टी का उपचार करने के लिए 100 किलोग्राम फार्मयार्ड खाद (गोबर की सड़ी खाद) में 1 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर और 300-400 मिली जैव उर्वरक (तरल कॉन्सोर्टिया) मिलाएं. इसे 7 दिनों तक पॉलीथिन से ढक दें. नमी बनाए रखने के लिए बीच बीच में इस ढेर पर पानी छिड़कें और हर 3-4 दिनों के अंतराल में उलटायें और फिर बुवाई के समय या 24 घंटा पूर्व खेत में में मिला दें.
आवश्यकतानुसार 2-3 बार निराई गुड़ाई करें. बुवाई से पहले पेंडीमेथलीन 30 EC का 1200 मिली लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. इसके छिड़काव से पहले मिट्टी मे नमी होनी चाहिए.
अधिक पैदावार लेने के लिए सही समय पर पानी लगाना बहुत जरूरी है. गर्मियों में हर 3-4 दिन बाद और सर्दियों मेंहर 12-15 दिन बाद सिंचाई करें. कोहरे और पाले से बचाने के लिए लगातार हल्की सिंचाई दें और मिट्टी में नमी बनाये रखें. फूल निकलने और फल बनने के समय सिंचाई बहुत जरूरी है.
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