गन्ना भारत की प्रमुख फसलों में से एक है. देश में बड़े पैमाने पर चीनी और इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने के खेती की जाती है. ऐसे में किसानों को अच्छी क्वालिटी की उपज हासिल करने के लिए फसल को रोगों से बचाने की जरूरत है, जिससे उन्हें फसल का सही दाम मिल सके. जानिए एक ऐसे ही रोग के बारे में जिसके चलते आपकी फसल चौपट हो सकती है. ज्यादा गर्मी के कारण गन्ने की फसल पर 'सूखा रोग' का खतरा बढ़ जाता है. गन्ना किसानों को इस रोग को लेकर खास सावधानी बरतनी चाहिए.
सूखा रोग में गन्ने पर तेज धूप पड़ने से फसल का ऊपरी हिस्सा सूखने लगता है और गन्ना बढ़ नहीं पाता. इस रोग का समय पर उपचार न किया जाए तो पूरी फसल खराब हो हो सकती है. गन्ना फसल को इस रोग से बचाने के लिए सिंचाई के साथ दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. गन्ने से अच्छा मुनाफा हासिल करने के लिए सही उपज का हासिल होना जरूरी है. ऐसे में गन्ने का पूर्ण विकास, उसकी मोटाई का ज्यादा होना जरूरी है.
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सूखा रोग लगने पर गन्ने की लंबाई-मोटाई में बढ़ोतरी होना बंद हो जाती है और एक टाइम बाद फसल सूख जाती है. इस स्थिति में गन्ने की पैदावार कम होती है और किसानों को घाटा होता है. गन्ने को इस रोग से बचाने के लिए फसल की नियमित देखभाल करना बहुत जरूरी है. विशेषज्ञों के अनुसार, अगर गन्ने के ऊपरी भाग में यह रोग लगता दिखे तो सिंचाई शाम को करनी चाहिए. इमिडाक्लोप्रिड का 200 लीटर पानी में घोल बनाकर गन्ने की फसल पर शाम को सिंचाई के साथ दो बार छिड़काव करने पर फसल में लग रहा सूखा रोग खत्म हो जाएगा और गन्ना सही से विकसित होगा.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद समेत कई जिलों में गन्ना फसल पर सूखा रोग और लाल सड़न रोग के मामले सामने आए हैं. पिछले कुछ समय से गन्ने में ये बीमारी तेजी से फैल रही है. इस वजह से आशंका जताई जा रही है कि यहां गन्ना उत्पादन कम होगा और किसानों को बची पैदावार भी कम दाम पर बेचनी पड़ेगी. इलाके के किसानों का कहना है कि अब एक बीघा खेत से सिर्फ 30 से 40 क्विंटल तक ही गन्ने की पैदावार हासिल होगी. कई किसानों की 20 से 30 प्रतिशत फसल सूखा रोग से बर्बाद हो चुकी है.