देश में गन्ना किसानों की सबसे बड़ी समस्या भुगतान को लेकर रहती है और ज्यादातर प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में यह समस्या हर साल देखने को मिलती है. लेकिन, केंद्र सरकार के मंत्री ने मंगलवार को सदन में कहा कि चीनी मिलें गन्ना भुगतान समय पर कर रही हैं, जिसकी वजह से गन्ना बकाया में कमी आई है. राज्यसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री निमूबेन जयंतीभाई बंभानिया ने लिखित जवाब देते हुए कहा कि अक्टूबर 2024 से शुरू होने वाले चालू मार्केटिंग वर्ष में 5 मार्च तक चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 15,504 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसानों को गन्ना बकाया का भुगतान लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और चीनी मिलें किसानों को गन्ना भुगतान नियमित आधार पर कर रही है. यही वजह है कि गन्ना बकाया में कमी देखी गई है. उन्होंने कहा कि किसानों को भुगतान की सुविधा के लिए केंद्र ने गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य तय करने सहित कई उपाय किए हैं. सरकार ने बफर चीनी से इथेनॉल बनाने की अनुमति दी है.
सरकार ने चीनी की एक्स-मिल कीमतों में गिरावट और गन्ना मूल्य बकाया के संचय को रोकने के लिए चालू 2024-25 चीनी मार्केटिंग वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 10 लाख टन के निर्यात की अनुमति दी है. सरकार ने चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य भी 31 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया है. मंत्री ने सदन में जानकारी दी कि इन उपायों के परिणामस्वरूप, गन्ना मूल्य बकाया में उल्लेखनीय कमी देखी गई है.
चीनी सीजन 2023-24 तक, 99.9% से अधिक गन्ना बकाया चुकाया जा चुका है और चालू चीनी सीजन 2024-25 में, 5 मार्च, 2025 तक 80% से अधिक गन्ना बकाया चुकाया जा चुका है. गन्ना किसानों का कुल बकाया 15,504 करोड़ रुपये है. इसमें से उत्तर प्रदेश के चीनी मिल मालिकों पर 4,793 करोड़ रुपये बकाया है, इसके बाद कर्नाटक की चीनी मिलों पर 3,365 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर 2,949 करोड़ रुपये और गुजरात की चीनी मिलों पर 1,454 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है.
वहीं, अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) ने मंगलवार को चीनी उत्पादन को लेकर अपना दूसरा अनुमान जारी किया. इसके अनुसार, सितंबर में समाप्त होने वाले 2024-25 सत्र में भारत का चीनी उत्पादन 19 प्रतिशत घटकर 25.8 मिलियन टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले सत्र में 31.9 मिलियन टन था. नवीनतम अनुमान AISTA के 26.52 मिलियन टन के पहले अनुमान से 0.72 मिलियन टन कम है, जिसमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात में उत्पादन में कमी को शामिल किया गया है.
भारत के सबसे बड़े चीनी उत्पादक महाराष्ट्र में पिछले सत्र के 11 मिलियन टन से कम, 8 मिलियन टन उत्पादन होने की उम्मीद है. देश के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में उत्पादन 9 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पहले अनुमान से अपरिवर्तित है, लेकिन पिछले सत्र में दर्ज 10.4 मिलियन टन से कम है.