बाग–बगीचा : कौन सा आम खाते हैं या बागों में लगाते हैं. इस सवाल पर बहुत सारे नाम आपकी जुबान पर होंगे. किसी को दशहरी पसंद होगा, किसी को लंगड़ा... कोई चौसा का शौकीन होगा तो कोई माल्दह या सफेदा. लेकिन इन सबके बीच हमारे वैज्ञानिक लगातार आम को और बेहतर बनाने पर काम कर रहे हैं. अगर आपको आम की लाल किस्मों के बारे में बताया जाए तो शायद आप उनके नाम नहीं जानते होंगे. लेकिन ये नई किस्में स्वाद भरपूर और कम जगह में बेहतर पैदावार दे रही हैं. इन आम की किस्मों का रंग देखकर ही ग्राहक आकर्षित हो जाते हैं. आइए जानते है इन किस्मों के बारे में जो तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. इन्हें पिछले कुछ सालों में IARI PUSA नई दिल्ली ने विकसित किया है. बाग-बगीचा सीरीज में जानेंगे विकसित आम की इन नई लाल किस्मों के बारे में.
आईएआरआई पूसा के उद्यान विभाग के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. कन्हैया सिंह ने किसान तक को बताया कि पूसा लालिमा 2012 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित एक संकर किस्म है. जो दशहरी x सेंसेशन के क्रॉस से विकसित की गई है.इसके पौधे मध्यम आकार के होते हैं और हर साल नियमित रूप से फल देने वाले होते हैं. यह दशहरी से लगभग एक सप्ताह पहले पक जाता है.
बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार पूसा दीपशिखा एक बेहतर संकर किस्म है.यह आम्रपाली x सेंसेशन के क्रॉस से विकसित ये
संकर किस्म है .यह किस्म भी हर साल नियमित रूप से फल देती है, इसका फल आकर्षक रूप से चमकदार होता है और इसका छिलका लाल और गूदा नारंगी-पीला होता है. इससे फल खरीदार के आकर्षिक हो जाते हैं .इसके पेड़ अर्ध-बौने होते हैं, इन पौधों को 6 मीटर x 6 मीटर पर लगाया जा सकता है.इसके फल पकने के बाद 7 से 8 दिनों तक खराब नहीं होते हैं.
डॉ.कन्हैया सिंह के अनुसार, पूसा मनोहारी आम्रपाली और लालसुंदरी के संकरण से विकसित एक संकर किस्म है,जो हर साल नियमित रूप से फल देती है, इसका छिलका हरा-पीला लाल रंग लिए हुए होता है. इसके फल एक समान आकार के होते हैं। फल का औसत वजन 223.4 ग्राम है, यह ताजे फल के साथ-साथ प्रसंस्करण उद्देश्यों के लिए उपयुक्त है, इसे 6x6 मीटर पर भी लगाया जा सकता है.पूसा मनोहारी मसूड़ों की बीमारी के प्रति सहनशील है और ख़स्ता फफूंदी के प्रति मध्यम रूप से सहनशील है.
इस प्रकार के पौधों की खरीद के लिए आप IARI पूसा दिल्ली के बागवानी विभाग से संपर्क कर सकते हैं, या अपने क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र या विश्वसनीय नर्सरी दुकानों से पौधे खरीद सकते हैं..पौधे खरीदते समय इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि आम की नर्सरी का पौधा ग्राफ्टेड यानी कलमी होना चाहिए. पौधे खरीदते समय सही प्रजाति की पहचान कर ही उसे खरीदें. क्योंकि पौधे विक्रेता ग्राफ्टेड पौधों के साथ देशी पौधे भी बेचते हैं. इसकी वजह यह है कि देशी पौधे सस्ते होते हैं. पौधा खरीदते समय तने पर लगे चीरे या ग्राफ्टिंग को देखकर ग्राफ्टिंग पौधों की पहचान की जा सकती है और धोखाधड़ी से बचा जा सकता है.
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डॉ कन्हैया सिंह ने अनुसार आम, के पौधा लगाने के लिए तीन गुणा तीन 3.3 फीट लंबा, 3 फीट गहरा, 3 फीट चौड़ा, एक गड्ढा खोदें, गड्ढा खोदने के बाद गड्ढे की सारी मिट्टी निकाल लें,उस मिट्टी को निकालने के बाद उस मिट्टी में 10 किलो अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालें. मिट्टी में खाद मिलाने के बाद, अगर उस क्षेत्र में दीमक की समस्या है तो दीमक को नियंत्रित करने के लिए क्लोरोपाइरीफास दवा का उपयोग किया जाता है, एक गड्ढे के लिए 50 ग्राम क्लोरोपाइरीफास दवा को गोबर और मिटटी साथ मिलाया जाता है. उसके बाद गड्ढे को अच्छे से भर दें. गड्ढा भराई की प्रक्रिया जून के आखिरी सप्ताह या जुलाई के पहले सप्ताह तक कर देना बेहतर होता है.