Success Story: मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया. जी हां आज हम आपको बताएंगे उत्तर-प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जनपद के एक ऐसे किसान की कहानी, जिन्होंने महज 3 एकड़ से खेती शुरू की थी और आज 300 एकड़ पर वह ग्रुप फार्मिंग करते हैं. रामशरण वर्मा (Ramsaran Verma) को खेती-किसानी से सालाना 2 करोड़ की आमदनी होती है. 2019 में केंद्र सरकार उन्हें पद्मश्री से सम्मानित कर चुकी है. बाराबंकी में एक ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जो हाईस्कूल फेल होते हुए भी करोड़पति बने और आधुनिक जीवन की सारी सुख सुविधाओं का आनंद खेती किसानी के दम पर उठा रहे हैं.
किसान तक से बातचीत में रामशरण ने बताया कि रोजाना 100-150 लोगों को रोजगार दे रहे है. एक वर्कर को 400 रुपये एक दिन का भुगतान किया जाता है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर वो सब्जियों की खेती करते हैं. रामशरण वर्मा का कृषि फार्म हाउस देखते ही बनता है. पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित प्रगतिशील किसान रामशरण वर्मा ने कहा कि मेरी सफलता के पीछे जैविक खेती है. हम खेती के दौरान केमिकल युक्त रासायनिक खादों की प्रयोग नहीं करते. वहीं फसल एक च्रक है इस इस फार्मूले पर कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. उन्होंने एक तस्वीर शेयर करते हुए बताया हर किसान को आज इसी फार्मूले पर अलग-अलग फसलों की खेती करनी चाहिए. मामूली किसान से करोड़पति बने हाई टेक किसान रामशरण वर्मा को अबतक दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं.
रामशरण वर्मा बताते हैं कि उनके पास पुश्तैनी 6 एकड़ जमीन थी. जिसमें उनके पिताजी खेती करते थे. उन्होंने बताया 1986 से वह 6 एकड़ जमीन से आज वह 300 एकड़ पर खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि खेती में मेहनत बहुत जरूरी है.
बता दें कि बाराबंकी के दौलतपुर गांव में एक गरीब किसान के घर में जन्मे रामशरण वर्मा आज जिलेभर के किसानों की शान हैं. टिशूकल्चर पद्धति से केले की खेती करके उत्पादन और मुनाफे में रामशरण वर्मा ने बताया कि एक एकड़ में बोई गई केले की फसल में ढाई से साढे तीन लाख के बीच मुनाफा यह कमाते हैं. इसके अलावा टमाटर और आलू की खेती करते है.
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रामशरण ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों से किसान उनके फार्म हाउस पर आकर उनकी खेती की तकनीक सीखते हैं. उन्होंने कहा उन्हें बड़ी खुशी होती है जब कोई उनसे खेती के बारे में जानकारी लेने उनके पास आता है.पद्मश्री सम्मान पाने पर किसान राम सरन वर्मा ने कहा कि वह अपनी खेती से गांव के करीब 15-20 हजार लोगों को रोजगार दे रहे हैं.