गर्मी में तेजी से बढ़ती है ये फसल, टनों में उत्पादन, महीने भर में मिलेगी लाखों की कमाई

गर्मी में तेजी से बढ़ती है ये फसल, टनों में उत्पादन, महीने भर में मिलेगी लाखों की कमाई

गर्मी के मौसम में कुछ विशेष फसलें तेजी से बढ़ती हैं और कम समय में किसानों को अच्छा मुनाफा देती हैं. चौलाई (अमरंथस) ऐसी ही एक अहम पत्तेदार सब्जी है, जो गर्मी में उगाई जाती है. चौलाई की फसल 25-30 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान को जल्दी आय प्राप्त होती है. इसकी खेती में अधिक लागत नहीं लगती और इसे कम पानी में भी उगाया जा सकता है.

साग की खेतीसाग की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 12, 2025,
  • Updated Mar 12, 2025, 11:57 AM IST

गर्मी के मौसम में कुछ खास फसलें बहुत तेजी से बढ़ती हैं और किसानों को कम समय में अच्छा मुनाफा देती हैं. चौलाई एक अहम पत्तेदार सब्जी है, जिसे आमतौर पर मामूली समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है. यह पत्तेदार सब्जी बहुत तेजी से बढ़ती है. इसे कई बार काटा जा सकता है. सही बाजार मिलने पर लाखों की कमाई हो सकती है. इसे राजगीरा, अरई-कीरई और रामदाने जैसे कई नामों से भी जाना जाता है. चौलाई में कई प्रकार के विटामिन, खनिज लवण और एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है. गर्मियों के मौसम में इसकी मांग विशेष रूप से बढ़ जाती है.  

चौलाई की बुवाई के लिए ये जानना जरूरी

चौलाई की खेती के लिए जहां सिंचाई की सुुविधा उपलब्ध हो तो चौलाई की खेती करनी चाहिए. चौलाई की खेती अच्छे उत्पादन के लिए भूमि का pH मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. चौलाई के लिए खेत की 3-4 बार जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी और हवादार हो जाए. अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ 10टन सड़ी गोबर की खाद मिलाना उचित रहता है. इसकी बवाई उत्तर फरवरी-मार्च और जून-जुलाई में की जाती है. सीधे बुवाई के लिए 700 से 800 ग्राम बीज की जरूरत होती है चौलाई की बुवाई छिटकवां विधि या सीड ड्रिल मशीन द्वारा पंक्तियों में की जाती है. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20-25 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सेमी रखें. बीज को 1-1.5 सेमी की गहराई पर बोएं.

ये भी पढ़ें: किस पौधे से मिलता है रामदाना, साग-सब्जी और चारे में कैसे होता है इस्तेमाल?

ये हैं चौलाई की किस्में जो टनों में देती हैं उत्पादन

पूसा छोटी चौलाई: यह किस्म कद में छोटी और पत्तियां हरे रंग की होती हैं. यह कटिंग के लिए बेहतर है.

पूसा बड़ी चौलाई: इसकी पत्तियां बड़ी और हरे रंग की होती हैं. इसका तना कमजोर होता है. यह भी कटिंग के लिए अच्छी है.

पूसा लाल चौलाई: इस किस्म की ऊपरी सतह की पत्तियां गहरे लाल रंग की होती हैं. यह 20 टन प्रति एकड़ उपज केवल 4 कटाइयों में देती है.

अर्का सगुना: यह मल्टी-कट और हरे रंग की चौड़ी पत्ती वाली किस्म है. इसकी पहली कटाई 24 दिनों से शुरू होकर 90 दिनों तक चलती है. इस किस्म की उपज 10 टन प्रति एकड़ है.

अर्का अरुणिमा:  यह मल्टी-कट और गुलाबी रंग की चौड़ी पत्ती वाली किस्म है. इसकी पहली कटाई बुआई से 30 दिनों के बाद शुरू होकर 10 दिनों के अंतराल तक चलती रहती है. इसकी उपज 12  टन प्रति एकड़ है. इसकी खेती पूरे वर्ष की जाती है.

चौलाई की इन किस्मों की खेती करके किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. इसलिए किसान चौलाई की खेती पर ध्यान लगा सकते हैं.

कब और कितना दें खाद पानी

चौलाई के लिए नाइट्रोजन 20 किलोग्राम, फॉस्फोरस 20 किलोग्राम, पोटाश 8  किग्रा प्रति एकड़ बुवाई के समय देना चाहिए.  इसके पहले खेत में 10  टन प्रति एकड़ सड़ी गोबर की खाद मिलाएं. चौलाई की फसल में मिट्टी में नमी बनाए रखना जरूरी है. इसलिए सिंचाई तभी करें जब खेत में नमी की कमी दिखाई दे. साग के लिए चौलाई की पत्तियों की कटाई के बाद फसल को अतिरिक्त पोषक की जरूरत होती है. जैविक खाद का इस्तेमाल और हल्की सिंचाई करना फसल के लिए लाभदायक होता है. बेहतर उत्पादन के लिए फसल को खरपतवार और कीटों से सुरक्षित रखना आवश्यक है. फसल अवधि के दौरान खेत की दो बार गुड़ाई करनी चाहिए. गुड़ाई करते समय पौधों की जड़ों पर हल्की मिट्टी चढ़ा देने से उनकी वृद्धि बेहतर होती है.

ये भी पढ़ें: Mustard Green: सेहत के लिए वरदान है सरसों, घर में उगाना है आसान, खाने के लिए रेगुलर मिलेगी साग

चौलाई की कब करें कटाई

चौलाई की हरी पत्तियों की पहली कटाई रोपाई के 30 से 40 दिन बाद करनी चाहिए. फसल की पकने की अवधि तक 3 से 4 बार पत्तियों की कटाई की जा सकती है, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बेहतर होती है. बाजार में चौलाई की साग 25 किलो से लेकर 50 रुपये किलो तक आसानी तक बिक जाती है. इस तरह कम अवधि में लाखों की कमाई किसान कर सकते हैं.
 

 

MORE NEWS

Read more!