पंजाब के अबोहर किन्नू मंडी में शुक्रवार को किसान और व्यापारी एक बार फिर से आमने-सामने हो गए. जहां किसानों ने मंडी में धरना देकर किन्नू की बोली नहीं लगने दी. वहीं व्यापारियों और आढ़तियों ने मार्केट कमेटी के बाहर धरना देकर मंडी चालू रखने की मांग की. इस बीच शुक्रवार शाम को अधिकारियों द्वारा दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही. इससे अबोहर मंडी में किन्नू की खरीद-बिक्री को लेकर अफरा-तफरी का माहौल देखा जा रहा है.
किसान नेता सुखमंदर सिंह सुख, अजय वधवा, सुखजिंदर सिंह राजन, सुभाष गोदारा, सुखमंदर सिंह भोमा ने कहा कि हरा किन्नू ही मंडी में बिक्री को आ रहा था, जिसका उचित भाव नहीं मिलता. वहीं किसानों की उपज को व्यापारी 07 से 08 रुपये किलो ही खरीदते हैं. किसानों का आरोप है कि ऐसा व्यापारियों और आढ़तियों की मिलीभगत के कारण होता है. उन्होंने कहा कि अगर एक बार किसान या बागवान किन्नू तोड़कर मंडी में ले आता है तो फिर उसे किन्नू बेच कर ही जाना पड़ता है. बस इसी बात का फायदा व्यापारी और आढ़ती उठाते हैं.
किसानों ने कहा कि इसके चलते किसान संगठनों ने यह फैसला लिया है कि दिसंबर महीने तक जब तक किन्नू पूरी तरह से तैयार नहीं हो जाता, तब तक वह किन्नू मंडी में नहीं लेकर आएंगे. वहीं उन्होंने सभी बागवानों से भी अपील की है कि वे तब तक किन्नू की तुड़ाई न करें, जब तक किन्नू पूरी तरह से तैयार नहीं हो जाता. ऐसे करें तो बागवानों को पूरा भाव मिल सकेगा और उनका शोषण बंद होगा. किसानों की मांग है कि किन्नू का एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए और किन्नू की खरीद भी सरकारी एजेंसी करे.
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उधर किन्नू मंडी में आढ़तियों और व्यापारियों ने किन्नू की बोली करवाने की मांग को लेकर मार्केट कमेटी के बाहर धरना दिया. प्रशासन से मांग की गई कि वह किसानों की इस तरह की जबरदस्ती बंद करवाए. इसके अलावा इस मामले का पुख्ता हल निकाला जाए. उधर कुछ किसान भी मटीली और अन्य शहरों से किन्नू लेकर पहुंचे हैं. उनका कहना है कि उनको अपना नफा नुकसान पता है. हरा किन्नू बेचना उनकी मजबूरी है, लेकिन किसानों को आज तक अन्य फसलों का तो एमएसपी मिला नहीं, किन्नू का कैसे मिलेगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार किन्नू पर एमएसपी देती है तो अच्छी बात है, लेकिन किसान संगठनों को इसके लिए सरकार से बात करनी चाहिए इस तरह मंडी बंद करवाना उचित नहीं है.