पंजाब में इस रबी सीजन में प्राइवेट ट्रेडर्स बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो राज्य में पहली बार निजी व्यापारियों ने 10.79 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा है. यह पहली बार है जब राज्य में प्राइवेट सेक्टर ने इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं किसानों से खरीदा है. इस खरीद के तहत किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से करीब 200 रुपये ज्यादा का भुगतान किया गया है. बताया जा रहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के जिले संगरूर से सबसे ज्यादा गेहूं प्राइवेट ट्रेडर्स ने खरीदा है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने राज्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से बताया है कि 15 मई को खरीद का आखिरी दिन था. इस दिन तक राज्य भर में कुल 130.5 लाख टन गेहूं की खरीद की गई है. जहां सरकारी एजेंसियों ने 119.2 लाख टन और बाकी 10.79 लाख टन गेहूं निजी व्यापारियों ने खरीदा है. सीएम मान के गृह जिले संगरूर से 2.43 लाख टन गेहूं खरीदा गया. इसके बाद फरीदकोट से 1.32 लाख टन, लुधियाना (ईस्ट) से 1.01 लाख टन, पटियाला से 70,704 टन और बठिंडा से 68,020 टन गेहूं की खरीद हुई है.
निजी खरीद में इजाफे को एक सकारात्मक घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है. संगरूर और पटियाला के कुछ क्षेत्रों में गेहूं पर एमएसपी 2,425 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2,640 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि निजी व्यापारियों ने पिछले साल 7.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की थी और साल 2022-23 में यह 6.5 लाख मीट्रिक टन थी.
विभाग के आंकड़ों के अनुसार सरकारी एजेंसियों की तरफ से कुल 119.2 लाख टन गेहूं खरीदा गया है. सबसे ज्यादा खरीद मुक्तसर से 8.77 लाख मीट्रिक टन, पटियाला से 8.50 लाख मीट्रिक टन, बठिंडा से 8.42 लाख मीट्रिक टन, फिरोजपुर जिले से 8.38 लाख मीट्रिक टन और तरनतारन से 7.56 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार की तरफ से तय किए गए 124 लाख टन के अपने खरीद लक्ष्य से पीछे है.
राज्य फूड एंड सप्लाई विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो निजी कंपनियां गेहूं खरीद रही हैं और इसके लिए ज्यादा भुगतान कर रही हैं. यह एक सकारात्मक कदम है और इससे पता चलता है कि किसान अब पूरी तरह से सरकारी खरीद पर निर्भर नहीं हैं. पंजाब के गेहूं आटा मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश घई ने कहा कि पिछले साल गेहूं की कीमतें 3,200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थीं. यह इसलिए हुआ था क्योंकि केंद्र ने जुलाई में ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत गेहूं जारी करने की घोषणा की थी. लेकिन गेहूं दिसंबर में जारी किया गया था जिससे आटा मिलों के कामकाज पर असर पड़ा था.
उन्होंने बताया कि उन कुछ महीनों के लिए खुले बाजार से गेहूं खरीदना बहुत मुश्किल हो गया था. इस साल मिल मालिकों को आशंका है कि सरकार ओएमएसएस के तहत गेहूं जारी करने में भी देरी कर सकती है. इसलिए आशंका और डर के चलते उन्होंने छह से नौ महीने के लिए गेहूं का स्टॉक सीधे किसानों से खरीद लिया. साथ ही, पिछले सीजन की तुलना में इस सीजन में उत्पादन अधिक है और किसानों ने बाद में बेचने के लिए गेहूं रखा हुआ है.
पंजाब के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री लाल चंद कटारूचक ने कहा कि राज्य सरकार ने 15 मई को खरीद सत्र के बंद होने तक मंडियों में आने वाले पूरे 130.03 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कर ली है. उनका कहना था कि सात लाख से ज्यादा किसानों के खातों में 28,571 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. उठाव के संबंध में, उन्होंने बताया कि 104.51 लाख मीट्रिक टन उठा लिया गया है. जबकि बाकी भी कुछ दिनों में उठा लिया जाएगा.
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