Medicinal Farming: 'दवाई' है यह पौधा, खेती से बढ़ जाएगी किसानों की इनकम, लग जाएगी लॉटरी

Medicinal Farming: 'दवाई' है यह पौधा, खेती से बढ़ जाएगी किसानों की इनकम, लग जाएगी लॉटरी

एक एकड़ जमीन से औसतन 3 से 5 क्विंटल सूखी अश्वगंधा की जड़ें मिल सकती हैं. बाजार में इसकी कीमत क्वालिटी के हिसाब से 150 से 300 रुपये प्रति किलो तक मिल जाती है. इस तरह एक एकड़ से 1.5 लाख रुपये तक की आमदनी संभव है. लागत कम होने के कारण मुनाफा अच्छा रहता है. जो किसान कम पानी और कम जोखिम वाली खेती करना चाहते हैं, उनके लिए अश्वगंधा एक बेहतरीन विकल्प है.

क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Dec 26, 2025,
  • Updated Dec 26, 2025, 3:48 PM IST

खेती में अब सिर्फ परंपरागत फसलों पर निर्भर रहना मुनाफे का सौदा नहीं रह गया है. बदलते समय में किसान औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. इन्हीं में एक नाम है अश्वगंधा, जिसे आयुर्वेद में बेहद महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है. कम लागत, कम पानी और ज्यादा मांग के कारण अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए कमाई का अच्छा जरिया बन सकती है. जानिए क्‍यों आज अश्‍वगंधा की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा बन गई है. 

आखिर है क्या यह अश्वगंधा

अश्वगंधा एक प्रमुख औषधीय पौधा है, जिसे आयुर्वेद में ताकत बढ़ाने, तनाव कम करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Withania somnifera है. अश्वगंधा की जड़, पत्तियां और बीज औषधि निर्माण में काम आते हैं. आयुर्वेदिक दवाओं, चूर्ण, कैप्सूल और सप्लीमेंट्स में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है.आज देश ही नहीं, विदेशों में भी आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है. फार्मा कंपनियां और आयुर्वेदिक दवा निर्माता अश्वगंधा की नियमित खरीद करते हैं. कई राज्य सरकारें औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और प्रशिक्षण भी दे रही हैं.

किन इलाकों में होती खेती 

अश्वगंधा की खेती शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में अच्छी होती है. अश्‍वगंधा की खेती उन जगहों पर आसानी से हो सकती है जहां पर पानी की कमी है. कम पानी वाली इस फसल के लिए हल्की दोमट या रेतीली मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. अच्छी जल निकासी वाली जमीन में इसकी पैदावार बेहतर होती है. इसकी बुवाई जून-जुलाई में खरीफ सीजन के दौरान की जाती है. बीज को पहले नर्सरी में तैयार कर खेत में रोपाई की जा सकती है या सीधे खेत में भी बोया जा सकता है. प्रति एकड़ करीब 4–5 किलो बीज पर्याप्त होता है.

कम लागत, कम देखभाल

अश्वगंधा की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें ज्यादा खाद और सिंचाई की जरूरत नहीं होती. गोबर की खाद या जैविक खाद से अच्छी पैदावार मिल जाती है. फसल को केवल 2–3 बार हल्की सिंचाई की जरूरत पड़ती है. कीट और रोग भी इसमें बहुत कम लगते हैं, जिससे दवाइयों का खर्च बच जाता है. अश्वगंधा की फसल करीब 150–180 दिनों में तैयार हो जाती है. जनवरी-फरवरी में पौधों की खुदाई की जाती है. सबसे ज्यादा औषधीय महत्व इसकी जड़ों का होता है. कटाई के बाद जड़ों को अच्छी तरह धोकर सुखाया जाता है और फिर बाजार में बेचा जाता है.

कितना हो सकता है मुनाफा

एक एकड़ जमीन से औसतन 3 से 5 क्विंटल सूखी अश्वगंधा की जड़ें मिल सकती हैं. बाजार में इसकी कीमत क्वालिटी के हिसाब से 150 से 300 रुपये प्रति किलो तक मिल जाती है. इस तरह एक एकड़ से 1.5 लाख रुपये तक की आमदनी संभव है. लागत कम होने के कारण मुनाफा अच्छा रहता है. जो किसान कम पानी और कम जोखिम वाली खेती करना चाहते हैं, उनके लिए अश्वगंधा एक बेहतरीन विकल्प है. खेती शुरू करने से पहले नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या औषधीय पौध बोर्ड से जानकारी लेना फायदेमंद रहेगा. सही तकनीक और अच्छी क्वालिटी के बीज से किसान इस दवाई के पौधे की खेती कर मालामाल हो सकते हैं.

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