Wheat Crop: गेहूं की खेती में सिंचाई का सही समय और तरीका, 5 अहम बातें जो बढ़ाएंगी पैदावार

Wheat Crop: गेहूं की खेती में सिंचाई का सही समय और तरीका, 5 अहम बातें जो बढ़ाएंगी पैदावार

गेहूं की खेती में अधिक पैदावार के लिए सिंचाई का सही समय और तरीका बेहद जरूरी है. जानिए गेहूं की क्रांतिक अवस्थाएं, 6 सिंचाइयों का सही चक्र, आधुनिक सिंचाई विधियां और पानी की क्वालिटी का फसल पर प्रभाव.

wheat crop farming tipswheat crop farming tips
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 26, 2025,
  • Updated Dec 26, 2025, 10:35 AM IST

गेहूं भारत की एक प्रमुख रबी फसल है, जो न केवल खाद्य सुरक्षा बल्कि किसानों की आर्थिक उन्नति का भी आधार है. अच्छी पैदावार के लिए बीज और खाद के साथ-साथ सिंचाई प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है. अक्सर सिंचाई में हुई एक छोटी सी चूक या देरी फसल की कुल उपज को काफी कम कर सकती है. इसलिए, उपलब्ध जल संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करना और फसल की 'क्रांतिक अवस्थाओं' को समझना हर किसान के लिए अनिवार्य है.  यहां 5 ऐसे पॉइंट्स का जिक्र करेंगे जो गेहूं की खेती और पैदावार से सीधा संबंध रखते हैं.

1.गेहूं की खेती में सिंचाई का महत्व और सही समय

गेहूं की फसल को अलग-अलग चरणों में पानी की अलग-अलग मात्रा की आवश्यकता होती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सिंचाई का सबसे सटीक समय फसल की 'क्रांतिक अवस्था' पर निर्भर करता है. यह वह समय होता है जब पौधा अपनी वृद्धि के सबसे संवेदनशील दौर में होता है. यदि इस समय पानी न मिले, तो दानों की संख्या और गुणवत्ता दोनों गिर जाती है. बुवाई के बाद पहली सिंचाई सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसे 'शीर्ष जड़' (CRI Stage) बनते समय किया जाना चाहिए.

2.पानी की उपलब्धता के अनुसार सिंचाई का तालमेल

हर किसान के पास पानी के संसाधन एक समान नहीं होते. इसलिए, आपके पास कितना पानी उपलब्ध है, उसके आधार पर सिंचाई का प्रबंधन इस प्रकार करें:

  1. सिंचाई उपलब्ध होने पर: बुवाई के 21-25 दिनों के बाद (मुख्य जड़ बनते समय) सिंचाई करें.
  2. सिंचाई उपलब्ध होने पर: पहली 21-25 दिन पर और दूसरी 70-80 दिन (फूल आने से पहले) पर करें.
  3. सिंचाई उपलब्ध होने पर: पहली 21-25 दिन, दूसरी 65 दिन (तने में गांठ बनते समय) और तीसरी 100 दिन (दानों में दूध भरते समय) पर करें. 
  4. कम पानी की स्थिति में इन अवस्थाओं पर ध्यान देने से उपज में भारी गिरावट को रोका जा सकता है.

3.भरपूर पानी की स्थिति में 6 सिंचाइयों का चक्र

अगर सिंचाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध हैं, तो गेहूं की फसल से अधिकतम उत्पादन लेने के लिए 6 बार सिंचाई करना सबसे उत्तम रहता है. इसका सही समय चार्ट नीचे दिया गया है. 

  • पहली सिंचाई- बुआई के 21-25 दिन बाद. मुख्य जड़ (CRI) बनते समय 
  • दूसरी सिंचाई- बुआई के 40-45 दिन बाद. कल्ले निकलते समय  
  • तीसरी सिंचाई- बुआई के 65-70 दिन बाद. तने में गांठ पड़ते समय  
  • चौथी सिंचाई- बुआई के 90-95 दिन बाद. फूल बनते समय  
  • पांचवीं सिंचाई- बुआई के 105-110 दिन बाद. दानों में दूध पड़ते समय 
  • छठी सिंचाई- बुआई के 120-125 दिन बाद. दाना सख्त होते समय

4.सिंचाई की आधुनिक विधियां और उनके लाभ

आज के समय में केवल पानी देना ही काफी नहीं है, बल्कि पानी बचाना भी जरूरी है. फ्लड इरिगेशन (खुला पानी छोड़ना) एक पारंपरिक तरीका है जिसमें पानी की बर्बादी ज्यादा होती है. इसकी जगह स्प्रिंकलर) या रेनगन सिस्टम का उपयोग करना गेहूं के लिए बेहद फायदेमंद है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जमीन उबड़-खाबड़ है या पानी की कमी है. ये तकनीकें न केवल पानी की बचत करती हैं, बल्कि फसल को पाले से भी बचाती हैं और समान रूप से नमी पहुंचाती हैं. ड्रिप सिंचाई का प्रयोग ज्यादातर बागवानी में होता है, लेकिन तकनीकी सुधार के साथ अब इसे बड़े खेतों में भी अपनाया जा रहा है.

5.पानी की शुद्धता और उपज पर प्रभाव

सिंचाई प्रबंधन में एक अक्सर अनदेखा किया जाने वाला पहलू है पानी की गुणवत्ता. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि खराब या खारा पानी मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर सकता है और पौधों की वृद्धि रोक सकता है. सिंचाई करने से पहले अपने ट्यूबवेल या जल स्रोत के पानी की शुद्धता की जांच किसी लैब में जरूर करानी चाहिए. 

प्रदूषित या अत्यधिक लवणयुक्त पानी से फसल झुलस सकती है, जिससे आपकी मेहनत और लागत दोनों बेकार जा सकती है. सही समय, सही विधि और शुद्ध पानी का संगम ही आपकी गेहूं की फसल को लहलहाएगा और आपकी आमदनी बढ़ाएगा.

MORE NEWS

Read more!