
गेहूं भारत की एक प्रमुख रबी फसल है, जो न केवल खाद्य सुरक्षा बल्कि किसानों की आर्थिक उन्नति का भी आधार है. अच्छी पैदावार के लिए बीज और खाद के साथ-साथ सिंचाई प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है. अक्सर सिंचाई में हुई एक छोटी सी चूक या देरी फसल की कुल उपज को काफी कम कर सकती है. इसलिए, उपलब्ध जल संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करना और फसल की 'क्रांतिक अवस्थाओं' को समझना हर किसान के लिए अनिवार्य है. यहां 5 ऐसे पॉइंट्स का जिक्र करेंगे जो गेहूं की खेती और पैदावार से सीधा संबंध रखते हैं.
गेहूं की फसल को अलग-अलग चरणों में पानी की अलग-अलग मात्रा की आवश्यकता होती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सिंचाई का सबसे सटीक समय फसल की 'क्रांतिक अवस्था' पर निर्भर करता है. यह वह समय होता है जब पौधा अपनी वृद्धि के सबसे संवेदनशील दौर में होता है. यदि इस समय पानी न मिले, तो दानों की संख्या और गुणवत्ता दोनों गिर जाती है. बुवाई के बाद पहली सिंचाई सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसे 'शीर्ष जड़' (CRI Stage) बनते समय किया जाना चाहिए.
हर किसान के पास पानी के संसाधन एक समान नहीं होते. इसलिए, आपके पास कितना पानी उपलब्ध है, उसके आधार पर सिंचाई का प्रबंधन इस प्रकार करें:
अगर सिंचाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध हैं, तो गेहूं की फसल से अधिकतम उत्पादन लेने के लिए 6 बार सिंचाई करना सबसे उत्तम रहता है. इसका सही समय चार्ट नीचे दिया गया है.
आज के समय में केवल पानी देना ही काफी नहीं है, बल्कि पानी बचाना भी जरूरी है. फ्लड इरिगेशन (खुला पानी छोड़ना) एक पारंपरिक तरीका है जिसमें पानी की बर्बादी ज्यादा होती है. इसकी जगह स्प्रिंकलर) या रेनगन सिस्टम का उपयोग करना गेहूं के लिए बेहद फायदेमंद है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जमीन उबड़-खाबड़ है या पानी की कमी है. ये तकनीकें न केवल पानी की बचत करती हैं, बल्कि फसल को पाले से भी बचाती हैं और समान रूप से नमी पहुंचाती हैं. ड्रिप सिंचाई का प्रयोग ज्यादातर बागवानी में होता है, लेकिन तकनीकी सुधार के साथ अब इसे बड़े खेतों में भी अपनाया जा रहा है.
सिंचाई प्रबंधन में एक अक्सर अनदेखा किया जाने वाला पहलू है पानी की गुणवत्ता. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि खराब या खारा पानी मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर सकता है और पौधों की वृद्धि रोक सकता है. सिंचाई करने से पहले अपने ट्यूबवेल या जल स्रोत के पानी की शुद्धता की जांच किसी लैब में जरूर करानी चाहिए.
प्रदूषित या अत्यधिक लवणयुक्त पानी से फसल झुलस सकती है, जिससे आपकी मेहनत और लागत दोनों बेकार जा सकती है. सही समय, सही विधि और शुद्ध पानी का संगम ही आपकी गेहूं की फसल को लहलहाएगा और आपकी आमदनी बढ़ाएगा.