महाराष्ट्र में इन दिनों हो रही जबरदस्त बारिश को लेकर किसानों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. कई जगहों से खबरें आ रही हैं कि मॉनसून ने राज्य में दस्तक दे दी है, लेकिन अकोला के डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ (पीकेवी) के कुलगुरु डॉ. शरद गडाख ने स्पष्ट किया है कि यह मॉनसून की नहीं बल्कि प्री-मॉनसून की बारिश है.
डॉ. गडाख ने बताया कि इस समय हो रही बारिश 70 से 100 मिमी तक रिकॉर्ड की जा रही है और यह आगामी खरीफ सीजन के लिए किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी. उन्होंने कहा कि 2025-26 का खरीफ मौसम खेती के लिए अनुकूल रहने वाला है और यह बारिश उस दिशा में सकारात्मक संकेत दे रही है.
गडाख ने यह भी जानकारी दी कि विदर्भ में मॉनसून की औपचारिक एंट्री 10 जून के आसपास होने की संभावना है, जो एक-दो दिन आगे-पीछे हो सकती है. ऐसे में किसानों को जल्दबाजी में बोवनी करने से बचना चाहिए. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे धैर्य रखें और सही समय पर ही बुआई की योजना बनाएं.
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मौसम विभाग के हवाले से डॉ. गडाख ने बताया कि इस साल सामान्य से 5 परसेंट अधिक बारिश का अनुमान है. जून में 96 परसेंट, जुलाई में 105 परसेंट, अगस्त में 107 परसेंट और सितंबर में 100 परसेंट से अधिक बारिश होने की संभावना जताई गई है.
यह आंकड़े किसानों के लिए राहत और उत्साह की खबर हैं. इससे यह साबित होता है कि केवल शुरुआती बारिश ही नहीं, बल्कि आगामी चार महीनों का बारिश वितरण भी संतुलित और भरपूर रहने वाला है. डॉ. गडाख ने यह भी कहा कि फिलहाल की बारिश से खेतों में उगने वाला नुकसानदेह घास पहले ही उग आएगा, जिससे आगे चलकर फसल को हानि पहुंचाने वाला यह खरपतवार पहले ही समाप्त किया जा सकेगा. इससे किसानों को गुड़ाई और खरपतवार निकालने में लगने वाले खर्च से भी राहत मिलेगी.
अंत में डॉ. गडाख ने कहा कि 2025-26 का खरीफ सीजन किसानों के लिए लाभदायक और संतुलित मौसम वाला हो सकता है, बशर्ते किसान वैज्ञानिक सलाह और मौसम पूर्वानुमानों के अनुसार कृषि कार्य करें.
दक्षिण सोलापुर तालुका के बोरमनी के किसान मल्लिनाथ पाटने के पपीते के बाग को बेमौसम बारिश के कारण भारी नुकसान हुआ है. पिछले साल बारिश के कारण अंगूर के बाग को लगभग 35 लाख रुपये का नुकसान हुआ था. इसलिए, इस वर्ष उन्होंने अंगूर का बाग हटाकर पपीते का बाग लगाया. हालांकि, इस साल भी बारिश के कारण पांच एकड़ के पपीते के बाग को करीब 25 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. किसान मांग कर रहे हैं कि सरकार कृषि फसलों का पंचनामा कराए और नुकसान का मुआवजा दे.
जालना जिले में भारी बारिश हुई है. इस भारी बारिश के कारण जिले के विभिन्न हिस्सों में नदियां और नाले उफान पर हैं. चूंकि बाढ़ का पानी गांवों में पुलों के ऊपर से बह रहा है, ऐसे में नागरिकों को अपनी जान हथेली पर रखकर यात्रा करनी पड़ रही है. साथ ही, भारी बारिश के कारण जालना जिले के घनसावंगी, अंबड़, बदनापुर तालुकाओं में कुछ खेतों में बारिश का पानी जमा हो गया है. इसके कारण खेतों ने तालाबों का रूप ले लिया है.
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जालना जिले के घनसावंगी तालुका के बोडखा गांव में भारी बारिश हुई है. इस भारी बारिश के कारण बोडखा गांव में नारोला नदी में बाढ़ आ गई है. बाढ़ का पानी बोडखा गावं के पुल के ऊपर से बह रहा है. इसके कारण घनसावंगी और बोडखा गांव के बीच का संपर्क टूट गया है. इस पुल को पार करते समय नागरिकों को जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ रही है.(सोलापुर से विजय बाबर और जालना से गौरव साली का इनपुट)