भारत में धान की खेती लगभग हर राज्य में की जाती है. इसका मुख्य कारण चावल की बढ़ती खपत और लोकप्रियता है. जिस वजह से किसान इसकी खेती अधिक से अधिक करते हैं. भारत दुनिया में धान के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. भारत में धान का उत्पादन वर्षों से लगातार बढ़ रहा है. कृषि वर्ष 2020-2021 में, भारत में धान का अनुमानित उत्पादन लगभग 118.87 मिलियन मीट्रिक टन था. जिसमें लगातार बढ़त देखी जा रही है. भारत भर के विभिन्न राज्यों में धान की खेती की जाती है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न किस्मों की विशेषज्ञता होती है.
भारत में धान की खेती के तहत कुल क्षेत्रफल मानसून पैटर्न और सरकारी नीतियों जैसे कारकों के आधार पर साल-दर-साल बदलता रहता है. ऐसे में आज हम बात करेंगे महाराष्ट्र में होने वाली धान की उन विशेष और उन्नत किस्मों के बारे में. जिसकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
धान की इस किस्म को साल 1996 में विकसित किया गया था. धान की इस किस्म को पककर तैयार होने में लगभग 115 से 120 दिन का समय लगता है. यानी बुवाई के 115 से 120 दिन के बाद किसान इस धान की इस किस्म की कटाई कर सकते हैं. धान की रत्नागिरी-3 किस्म को सिंचित पारिस्थितिकी के लिए ज़ाम्बिया में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिलीज़ किया गया था. इस किस्म का दाना लंबा मोटा होता है. इतना ही नहीं धान कि यह किस्म मध्यम रूप से ब्लास्ट और नेक ब्लास्ट के लिए प्रतिरोधी है. 1 हेक्टेयर जमीन से लगभग 35 से 40 क्विंटल धान कि उपज प्राप्त कि जा सकती है.
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धान की इस किस्म की साल 1994 में रिलीज किया गया था. इस किस्म के दाने का प्रकार लम्बा और पतला होता है. वही धान की इस किस्म से लगभग 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त कर सकते हैं. धान की कर्जत 2 किस्म को तैयार होने में लगभग 135 से 140 दिन का समय लगता है. इस किस्म की विशेषता यह है कि यह ब्लास्ट और बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के लिए प्रतिरोधी है.
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महाराष्ट्र के किसानों के लिए 1996 में धान की किस्म कर्जत-3 विकसित की गई है. यह कम अवधि की किस्म है. इसे तैयार होने में 115 से 120 दिन का समय लगता है. यह अपने पतले दाने और उच्च उपज के लिए जाना जाता है. जिसे महाराष्ट्र के सभी जिलों (ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग) के किसानों ने स्वीकार किया है. चावल की यह किस्म कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम है.