पानी की किल्लत को देखते हुए पंजाब में कानून व्यवस्था को और भी सख्त कर दिया गया है. आपको बता दें पंजाब प्रिवेंशन ऑफ सब्स्वाइल वॉटर एक्ट कानून के तहत पंजाब के भूमिगत जल को बचाने का प्रावधान है. जिस वजह से यहां के स्थानीय किसान 10 जून से पहले धान की रोपाई नहीं कर सकते थे. अब इस तारीख को बढ़ाकर 19 जून कर दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कपूरथला के मच्छीजोआ गांव में राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों ने सुरेंद्र सिंह नामक किसान को धान की अगेती फसल को पौधे लगाते पकड़ा. जब तक अधिकारी वहां पर पहुंचे किसान 6 कनाल क्षेत्र पर धान की पौध रोप चुके थे.
कृषि विभाग के अधिकारी रविंद्र कुमार ने कहा कि धान की अगेती फसल को समय से पहले रोपने वाले किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी. किसानों ने कृषि विभाग के निर्देशों के मुताबिक खुद ही धान के खेतों पर ट्रैक्टर चलाकर फसल नष्ट कर दी ताकि कार्रवाई से बचा जा सके.
दरअसल पंजाब सरकार ने धान की सीधी बिजाई शुरू करने के लिए 19 जून का समय निर्धारित किया है. ऐसे किसानों को 1500 रुपए प्रति प्रोत्साहन देने की घोषणा भी की गई है. लेकिन सुरेंद्र सिंह ने सरकार द्वारा तय की गई तारीख से पहले ही धान की फसल लगा दी जो पंजाब प्रिवेंशन ऑफ सब्स्वाइल वॉटर एक्ट 2009 का उल्लंघन करता है.
पंजाब प्रिवेंशन ऑफ सब्स्वाइल वॉटर एक्ट नामक कानून के अंतर्गत पंजाब के भूमिगत जल को बचाने का प्रावधान है. इस नियम के तहत 10 जून से पहले धान की रोपाई करना गैर कानूनी है.
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पंजाब में गुर्जर का स्तर लगातार कम होता जा रहा है. राज्य के संगरूर पटियाला पठानकोट मोहाली मोगा जालंधर होशियारपुर फतेहगढ़ साहिब बठिंडा बरनाला आदि जिलों में भूजल स्तर प्रतिवर्ष 0.49 मीटर की दर से नीचे जा रहा है.
इन जिलों में भूजल स्तर 150 से 200 मीटर तक नीचे चला गया है. केंद्रीय भूजल बोर्ड के मुताबिक अगर पंजाब में भूजल स्तर इस तरह से गिरता रहा तो साल 2039 तक वह 300 मीटर तक नीचे चला जाएगा. भूजल बोर्ड ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर पंजाब में पानी का अत्यधिक दोहन नहीं रोका गया तो पानी की कमी के चलते खाद्य सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है.
पंजाह में धान की फसल उगाने के लिए पानी का अत्याधिक दोहन हो रहा है. एक अनुमान के मुताबिक एक किलो चावल पैदा करने के लिए 4000 लीटर से अधिक पानी की जरूरत पड़ती है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अनुसंधान के मुताबिक एक किलो धान उगाने के लिए 3600 लीटर से 4125 लीटर के बीच में पानी की जरूरत पड़ती है. देरी से पकने वाली धान की फसलों को ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है. इसलिए राज्य सरकार अब फसलों के विविधीकरण और जल्दी पकने वाली फसलों को प्राथमिकता दे रही है. केंद्र सरकार ने देश की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर पंजाब के किसानों को गेहूं और धान उगाने के लिए प्रेरित किया जिसकी वजह से पानी का अत्यधिक दोहन होने लगा.