धान के खेत में 1 साल तक बढ़ता रहता है यह खरपतवार, नियंत्रण के लिए इन 3 दवाओं का करें इस्तेमाल

धान के खेत में 1 साल तक बढ़ता रहता है यह खरपतवार, नियंत्रण के लिए इन 3 दवाओं का करें इस्तेमाल

बिहार में धान के खेत में सबसे अधिक सामा खरपतवार उगता है. इससे फसलों की बढ़ोत्तरी पर असर पड़ता है. यदि खरपतवार ज्यादा संख्या में धान के खेत में उग जाते हैं, तो धान की पैदावार भी प्रभावित होती है. कृष एक्सपर्ट की माने तो सामा धान के खेतों में बहुत तेजी से फैलने वाला एक वर्षीय खरपतवार है.

धान की खेती के लिए खतरनाक है यह खरपतवार. (सांकेतिक फोटो)धान की खेती के लिए खतरनाक है यह खरपतवार. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 15, 2024,
  • Updated Jul 15, 2024, 12:54 PM IST

बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. यहां पर 75 फीसदी से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. यहां के लगभग सभी जिलों में किसान बड़े स्तर पर धान की खेती करते हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई होती है. लेकिन कई बार धान की फसल में खरपतवार ज्यादा निकल आते हैं. इससे फसलों की उपज प्रभावित होती है. वहीं, खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए किसानों को कीटनाशकों का छिड़काव करना पड़ता है. इससे खेती के ऊपर इनपुट लागत भी बढ़ जाती है. लेकिन किसान चाहें, तो कुछ सावधानियां बरतकर खरपतवारों से फसलों को बचा सकते हैं.

बिहार में धान के खेत में सबसे अधिक सामा खरपतवार उगता है. इससे फसलों की बढ़ोत्तरी पर असर पड़ता है. यदि खरपतवार ज्यादा संख्या में धान के खेत में उग जाते हैं, तो धान की पैदावार भी प्रभावित होती है. कृष एक्सपर्ट की माने तो सामा धान के खेतों में बहुत तेजी से फैलने वाला एक वर्षीय खरपतवार है. इसके पौधे 15 से 60 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं. इनकी पत्तियां अंडाकर होती हैं. खास बात यह है कि इसकी गांठें से जड़ें निकलती हैं. यही वजह है कि खेतों में ये तेजी फैलते हैं.

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खरपतवार पर लगेगा लगाम

अगर किसान सामा खरपतवार से निजात पाना चाहते हैं, तो ब्यूटाक्लोर 50 फीसदी ईसी 1.0 से 1.2 लीटर पानी में मिलाकर खेतों में छिड़काव कर सकते हैं. इससे यह तुरंत नियंत्रित हो जाता है. इसके अलावा एनिलाफोस 30 प्रतिशत ईसी 533 मिलीलीटर का भी किसान खेतों में स्प्रे कर सकते हैं. साथ ही किसान प्रेटिलाक्लोर 50 प्रतिशत ईसी 600 मिलीलीटर पानी में घोरकर धान के खेत में छिड़काव करें. इससे सामा खरपतवार का खातमा हो जाता है.

इस तरह करें कीटनाशकों का इस्तेमाल

इसी तरह धान के खेत में मोथा खरपतवार भी फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में किसान ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5 फीसदी EC 500 मिली प्रति हेक्टेयर के दर से छिड़काव कर सकते हैं. पैडी ट्रांसप्लांटर और जीरो टिलेज या सीड ड्रिल विधि में सीधी बुवाई के 3 से 5 दिनों के अंदर फसलों पर छिड़कना चाहिए. अगर किसान चाहें तो पाइरेजोसल्फ रान ईथाइल 10 फीसदी WP का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस खरपतवारनाशी का 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से रोपनी के 8 से 10 दिनों के अंदर 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. साथ ही 50-60 किलो सूखे बालू में मिलाकर भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.

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