केंद्र सरकार के सरकारी भंडार में जरूरत से ज्यादा चावल का स्टॉक है. ऐसे में वह अतिरिक्त चावल बेचने पर विचार कर रही है. कहा जा रहा है कि वह ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत राज्यों को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से चावल खरीदने की अनुमति दे सकती है. सूत्रों के अनुसार, 3 जुलाई, 2024 तक केंद्रीय पूल में उपलब्ध चावल का स्टॉक 329.17 लाख मीट्रिक टन था. यह बिना पिसाई वाले धान के स्टॉक से अलग है, जिससे एफसीआई को 153.07 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) चावल मिलेगा. इसके बाद कुल चावल का स्टॉक 482.24 लाख टन तक पहुंच जाएगा, जो लगभग 400 लाख टन की सलाना जरूरत से अधिक है.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नई खरीफ फसल आने में बस 3-4 महीने बाकी हैं. इसलिए चावल के स्टॉक में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. बफर मानदंडों के अनुसार, केंद्र को जुलाई के पहले दिन 135.40 लाख मीट्रिक टन चावल का स्टॉक बनाए रखना जरूरी है. सूत्रों ने बताया कि केंद्र को वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान चावल के “अतिरिक्त” स्टॉक को बनाए रखने के लिए 6,000 करोड़ रुपये की वहन लागत उठानी पड़ी और चालू वित्तीय वर्ष में इसमें 1,600 करोड़ रुपये और बढ़ने की उम्मीद है.
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सूत्रों ने कहा कि ओपन मार्केट सेल स्कीम के माध्यम से “अतिरिक्त” स्टॉक को खाली करने के प्रयासों से उचित परिणाम नहीं मिले हैं. केंद्र द्वारा 29 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल की पेशकश करने के बावजूद 39.31 रुपये प्रति किलोग्राम की आर्थिक लागत से काफी कम - वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत ई-नीलामी के माध्यम से केवल 1.72 लाख टन चावल बेचा गया.
पिछले साल जून में, केंद्र ने राज्य सरकारों को ओपन मार्केट सेल स्कीम के दायरे से बाहर कर दिया था, जिससे उन्हें एफसीआई से चावल खरीदने से रोक दिया गया था. इस कदम से कर्नाटक जैसे राज्य प्रभावित हुए, जिन्होंने अन्न भाग्य योजना के तहत सभी बीपीएल परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो खाद्यान्न मुफ्त उपलब्ध कराने के लिए एफसीआई से 2.28 लाख मीट्रिक टन मांगा था.
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एक सूत्र ने बताया कि मंत्रालय इस बात पर भी विचार कर रहा है कि ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत चावल के मौजूदा 29 रुपये के आरक्षित मूल्य को कम किया जाए या नहीं. एक सूत्र ने बताया कि कीमत में 1-2 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी की जानी चाहिए. इसके अलावा, यह इथेनॉल के लिए डिस्टिलरी को चावल की आपूर्ति फिर से शुरू करने के विकल्पों पर भी विचार कर रहा है. सूत्र ने बताया कि इन विकल्पों पर गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह को विचार करना है. उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से प्रतिक्रिया मांगने के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला.