केंद्र सरकार द्वारा प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाए जाने के बाद किसानों में पैदा हुई नाराजगी के बीच महाराष्ट्र सरकार ने किसानों का पुराना बकाया पैसा देना शुरू कर दिया है. यह पैसा प्याज सब्सिडी का है जिसकी घोषणा राज्य सरकार ने जनवरी में की थी. फरवरी और मार्च में मिले कम दाम के बदले नुकसान की भरपाई के लिए सब्सिडी देने का वादा किया गया था. आखिर आठ महीने के लंबे इंतजार के बाद अब सरकार ने यह पैसा रिलीज करना शुरू कर दिया है. इस पैसे से केंद्र का कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन राज्य में बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकार है, इसलिए इस पैसे के जरिए वहां के स्थानीय नेता एक्सपोर्ट डयूटी वाला किसानों का गुस्सा भी कम कम करने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
राज्य सरकार ने कम दाम से परेशान प्याज उत्पादक किसानों को राहत देने के लिए 1 फरवरी से 31 मार्च 2023 की अवधि के दौरान बेचे गए प्याज पर 350 रुपये प्रति क्विंटल की दर से राहत राशि या सब्सिडी देने की बात कही थी. हर किसान को अधिकतम 200 क्विंटल पर सब्सिडी देने का फैसला लिया गया था. इस रकम के वितरण का पहला चरण शुरू कर दिया गया है.
प्रथम चरण में तीन लाख प्याज उत्पादक किसानों को 300 करोड़ रुपये की धनराशि ऑनलाइन वितरित की जाएगी. शेष बाकी सब्सिडी का वितरण दूसरे चरण में होगा. उसकी प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जाएगी.
पहले चरण में सब्सिडी नागपुर, रायगढ़, सांगली, सतारा, ठाणे, अमरावती, बुलढाणा, चंद्रपुर, वर्धा, लातूर, यवतमाल, अकोला, जालना और वाशिम जिलों के पात्र लाभार्थियों के बैंक खाते में जमा की जाएगी.
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राज्य सरकार ने कम दाम से परेशान किसानों को राहत देने के लिए इस सब्सिडी की घोषणा की थी. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्यों सिर्फ फरवरी और मार्च के लिए ही सब्सिडी दी जा रही है. क्या उससे पहले और बाद में प्याज औने-पौने दाम पर नहीं बिक रहा था? उससे पहले भी एक-दो रुपये किलो प्याज बिक रहा था और उसके बाद भी. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि सिर्फ राहत देने का दिखावा किया गया है, रस्म आदायगी की गई है. सिर्फ 350 रुपये क्विंटल की सब्सिडी वो भी सिर्फ 200 क्विंटल पर और मात्र दो महीने के लिए. हमारी मांग है कि सरकार प्याज किसानों को मिलने वाले दाम का स्थायी समाधान खोजे.
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