प्याज के बीज उपचार के लिए सबसे अच्छा फंगीसाइड कौन सा है? कैसे करें इस्तेमाल?

प्याज के बीज उपचार के लिए सबसे अच्छा फंगीसाइड कौन सा है? कैसे करें इस्तेमाल?

भारत के निम्न राज्यों में प्याज़ की खेती की जाती है जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और बिहार आदि शामिल हैं. भारत में प्याज़ का सबसे ज़्यादा उत्पादन मध्य प्रदेश राज्य में होता है. आमतौर पर सभी प्रकार की मिट्टी प्याज की खेती के लिए उपयुक्त होती है.

बुवाई से पहले करें बीजोपचारबुवाई से पहले करें बीजोपचार
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Jun 17, 2024,
  • Updated Jun 17, 2024, 10:28 AM IST

प्याज़ एक महत्वपूर्ण फसल है जो सब्जी और मसाले दोनों के रूप में काम आती है. इसमें कुछ मात्रा में प्रोटीन और विटामिन पाए जाते हैं. इसके अलावा प्याज़ में औषधीय गुण भी होते हैं. इसका इस्तेमाल सलाद, अचार और सूप में किया जाता है. भारत के निम्न राज्यों में प्याज़ की खेती की जाती है जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और बिहार आदि शामिल हैं. भारत में प्याज़ का सबसे ज़्यादा उत्पादन मध्य प्रदेश राज्य में होता है. आमतौर पर सभी प्रकार की मिट्टी प्याज की खेती के लिए उपयुक्त होती है.

लेकिन अच्छी जल निकासी, नमी बनाए रखने की क्षमता और भरपूर कार्बनिक पदार्थ वाली दोमट से चिकनी मिट्टी आदर्श मानी जाती है. प्याज की खेती के लिए मिट्टी का आदर्श पीएच मान 6-7 के बीच होता है. वहीं प्याज की खेती से अधिक पैदावार लेने के लिए बीज उपचार करना बेहद जरूरी है. इसके लिए कौन सा फंगीसाइड सबसे अच्छा होता है और इसका इस्तेमाल कैसे करना चाहिए आइए जानते हैं. 

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ऐसे करें बीजोपचार

अच्छी पैदावार के लिए पौधों का स्वस्थ होना जरूरी है. इसके लिए नर्सरी वाले खेत में बीज बोने से पहले 3-4 मीटर लंबी, 60 सेंटीमीटर चौड़ी और 20-30 सेंटीमीटर ऊंची उठी हुई क्यारियां बना लेनी चाहिए. इन क्यारियों के बीच में निराई-गुड़ाई के लिए लगभग दो फीट जगह छोड़नी चाहिए. बुवाई से पहले बीजों को किसी फफूंदनाशक जैसे थीरम/कार्बेंडाजिम (2 ग्राम/किलोग्राम बीज) या ट्राइकोडर्मा मित्र फफूंदनाशक (4-6 ग्राम/किलोग्राम) से उपचारित कर लें और फिर बुवाई के लिए प्रयोग करें. बीजों को हमेशा कतारों में बोएं. इसके लिए 5-6 सेंटीमीटर पर कतारें तैयार कर बुवाई करें. आजकल बीज बोने के लिए मशीनें भी उपलब्ध हैं. 

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नर्सरी तैयार करने का समय

खरीफ की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई के दूसरे सप्ताह तक तथा रबी की नर्सरी अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से नवम्बर के दूसरे सप्ताह तक लगानी चाहिए. एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 8-10 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं तथा पौध तैयार करने के लिए 250-300 वर्ग मीटर क्षेत्र जिसमें 80-100 क्यारियां (3 मीटर x 0.60 आकार) बनाई जाती हैं, पर्याप्त होता है. पौधों को रोगों से बचाने के लिए 2-3 ग्राम थाइम को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. नमी से बचने और स्वस्थ पौध प्राप्त करने के लिए ट्राइकोडर्मा विरिडी (5 ग्राम प्रति लीटर) का प्रयोग आवश्यक है. 

इन खादों का करें इस्तेमाल

कई बार देखा जाता है कि पौधों की वृद्धि अच्छी नहीं होती और पौधे पीले पड़ने लगते हैं. ऐसी स्थिति में जल में घुलनशील एन.पी. उर्वरक (5 ग्राम 19:19:19 प्रति लीटर पानी) का पत्तियों पर छिड़काव करने से वे शीघ्र ठीक हो जाते हैं. नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के लिए 0.2 प्रतिशत पेन्डीमेथालिन शाकनाशी का प्रयोग करें. मृदा जनित रोगों के नियंत्रण के लिए नर्सरी में 0.2 प्रतिशत की दर से मेटालैक्सील का पत्तियों पर छिड़काव करना लाभदायक होता है. कीटों का अधिक प्रकोप होने पर पत्तियों पर 0.1 प्रतिशत फिप्रोनिल का छिड़काव करना चाहिए.

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