सरकार के खाद्य तेल मिशन का असर दिखना शुरू हो गया है. इस साल कई राज्यों ने तिलहन फसलों की खेती को बढ़ावा दिया है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र ने गर्मी में उगाई जाने वाली फसलों में तिलहन फसलों को बढ़ावा दिया है. ये तिलहन फसलें फरवरी से जून के बीच लगाई और काटी जाती हैं. इन राज्यों में इस साल मूंगफली, सूरजमुखी और तिल की खेती बड़े पैमाने पर की गई है.
अधिकारियों ने बताया कि इस साल पंजाब, हरियाणा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य गर्मी में पहली बार तिलहन फसलों की खेती कराएंगे. इसके लिए राज्यों में क्लस्टर बनाए जा रहे हैं. गर्मियों के सीजन को जायद सीजन कहा जाता है. असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र अगले कुछ महीने में तिलहन की बुवाई शुरू कराएंगे.
पहले तिलहन फसलों की खेती केवल रबी और खरीफ में की जाती थी. मगर इस साल जायद में भी की जा रही है. जायद में तिलहन बुवाई से उम्मीद की जा रही है कि कुल तिलहन उत्पादन में वृद्धि होगी. भारत खाद्य तेल के आयात पर बहुत बड़ी राशि खर्च करता है. इस आयात को कम करने के लिए सरकार ने खाद्य तेल मिशन की शुरुआत की है जिसके लिए 10,103 करोड़ रुपये का फंड रखा गया है. इसके लिए साल 2032 तक का टारगेट तय किया गया है. तब तक सरकार आयात को लगभग आधा तक कम करना चाहती है.
इसके लिए राज्यों में तिलहन फसलों की बुवाई का रकबा बढ़ाया जा रहा है. साथ ही रबी और खरीफ के अलावा जायद में भी इसकी खेती की जा रही है. इसी क्रम में सरकार ने तिलहन की अधिक उपज देने वाली नई वैरायटी लॉन्च की है और कई किस्मों पर काम हो रहा है. खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता भी दी जा रही है. सरकार तेलों की पेराई करने वाले यानी प्रोसेसर्स को भी वित्तीय सहायता दे रही है.
स्थानीय स्तर पर किसानों का क्लस्टर बनाया जा रहा है. इस क्लस्टर के जरिये किसान अपनी तिलहन फसल को प्रोसेसर्स को बेचेंगे. इन प्रोसेसर्स को सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जाएगी ताकि वे अधिक मात्रा में किसानों से तिलहन की खरीद कर सकें. इसमें प्रावधान है कि किसानों को अपने तिलहन को थोक मंडियों में बेचने के लिए नहीं जाना होगा बल्कि उनके क्लस्टर से किसी प्रोसेसर को जोड़ दिया जाएगा तो किसानों से सीधा उनकी उपज को खरीदेगा.
हाल के वर्षों में खाद्य तेलों के आयात में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है. 2023-24 में यह आयात 1.31 लाख करोड़ रुपये का था. हालांकि उसके पिछले साल के मुकाबले कुछ कम था. आयात की बात करें तो भारत पाम तेल, सोयाबीन और सूरजमुखी का तेल बड़ी मात्रा में विदेशों से खरीदता है. इस भारी भरकम आयात को देखते हुए सरकार ने तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई है.
अभी 120 लाख टन तिलहन का उत्पादन होता है जिसे 2032 तक 200 लाख टन तक ले जाने की योजना है. इसे देखते हुए कई राज्यों में गर्मी यानी जायद में इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.