रागी किसानों को झटका — ओडिशा सरकार ने घटाया खरीद का टारगेट, बढ़ी किसानों की चिंता

रागी किसानों को झटका — ओडिशा सरकार ने घटाया खरीद का टारगेट, बढ़ी किसानों की चिंता

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में रागी किसानों को बड़ा झटका लगा है क्योंकि खरीफ मार्केटिंग सीजन (KMS) 2025–26 के लिए रागी की खरीद का लक्ष्य घटा दिया गया है. पिछले साल 66,433 क्विंटल की तुलना में इस बार केवल 48,000 क्विंटल की खरीद होगी. यह फैसला राज्य स्तरीय सम्मेलन में लिया गया, जहां डिजिटल क्रॉप सर्वे (DCS) से जुड़ी तकनीकी दिक्कतें और कुछ क्षेत्रों में सर्वे के विरोध को मुख्य कारण बताया गया.

‘सुपरफूड’ है ये फसल‘सुपरफूड’ है ये फसल
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 10, 2025,
  • Updated Nov 10, 2025, 2:54 PM IST

ओडिशा में सुंदरगढ़ जिले के मिलेट किसानों को झटका लगा है. इन किसानों के लिए ये बेहद बुरी खबर है क्योंकि मोटे अनाज के लिए जी-जान से जुटे किसानों की खरीद अब पहले से कम हो गई है. जिस मोटे अनाज की खेती को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया, अब वही मोटा अनाज रागी किसानों से कम खरीदा जाएगा. दरअसल, ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में खरीफ मार्केटिंग सीजन (KMS) 2025-26 में रागी (फिंगर मिलेट) की खरीद का लक्ष्य पिछले साल के 66,433 क्विंटल से घटाकर 48,000 क्विंटल कर दिया गया है.

यह फैसला 24 अक्टूबर को भुवनेश्वर में रबी अभियान 2025-26 के लिए राज्य स्तरीय सम्मेलन में लिया गया, जिसमें सुंदरगढ़ सहित सभी मिलेट उगाने वाले जिलों के लिए खरीद लक्ष्य तय किया गया. लक्ष्य में कमी का मुख्य कारण डिजिटल क्रॉप सर्वे (DCS) से जुड़े तकनीकी कारण और जिले के कई इलाकों में मोबाइल-आधारित सिस्टम का विरोध है.

आदिवासी किसानों को झटका

सुंदरगढ़ में, लगभग 11,000 आदिवासी किसान, जिनमें ज्यादातर छोटे और सीमांत किसान हैं, जिले के 15 ब्लॉकों में मोटे अनाजों की खेती करते हैं. यहां श्री अन्न अभियान (SAA) से जुड़े सूत्रों ने 'दिन न्यू इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि सुंदरगढ़ में, सभी मोटे अनाज की खेती 14,550 हेक्टेयर (हेक्टेयर) में करने का कार्यक्रम था, जिसमें से लगभग 13,700 हेक्टेयर को योजना के तहत कवर किया गया था. इसके अनुसार, SAA के तहत लगभग 11,000 हेक्टेयर में रागी की खेती की गई और बाकी लगभग 2,700 हेक्टेयर में छोटे मिलेट्स की खेती की गई.

अगस्त और अक्टूबर के बीच किए गए DCS में लगभग 5,555 हेक्टेयर रागी वाले क्षेत्रों के साथ-साथ वन अधिकार अधिनियम (FRA)-2006 के तहत वितरित 3,600 हेक्टेयर रागी वाली जमीन को भी कवर किया गया. कुतरा, कुआरमुंडा, राजगांगपुर, हेमगिर, गुरुंडिया, बरगारोन, बालिशंकरा और सुबडेगा सहित खनन प्रभावित ब्लॉकों में लगभग 1,845 हेक्टेयर रागी वाली कृषि भूमि पर PESA आंदोलन के तहत 'पथलगड़ी' प्रथा के चलते सर्वेक्षण नहीं किया जा सका.

पथलगड़ी अभियान का असर

'पथलगड़ी' अभियान में गांव की सीमाओं को दर्शाने और जमीन और संसाधनों की रक्षा के लिए आदिवासी अपने शासन का दावा करते हैं. फिर आदिवासी अपने हिसाब से  तराशे हुए पत्थर के स्लैब लगाते हैं. इस अभियान की वजह से कई ब्लॉकों के आदिवासी ग्रामीणों ने कथित तौर पर DCS की अनुमति नहीं दी. उन्हें डर था कि सर्वेक्षण उनकी जमीनें छीनने के मकसद से किया जाएगा. इसके अलावा, बॉर्डर वाले गांवों में सर्वे पर असर पड़ा क्योंकि संबंधित ऐप में टेक्निकल दिक्कत आ रही थी और वह झारखंड और छत्तीसगढ़ के लोकेशन रिजल्ट दिखा रहा था.

4886 रुपये मिलेगी रागी की MSP

चीफ डिस्ट्रिक्ट एग्रीकल्चर ऑफिसर एलबी मल्लिक ने कहा कि ऐसा लगता है कि DCS में रागी की खेती का एरिया कम हो गया है. उन्होंने आगे कहा, "सरकार से मिला टारगेट डिस्ट्रिक्ट-लेवल प्रोक्योरमेंट कमेटी की मीटिंग में फाइनल किया जाएगा." ऐसा माना जा रहा है कि रागी की खरीद अगले साल 1 जनवरी से 4,886 रुपये प्रति क्विंटल के बढ़े हुए MSP पर शुरू होगी. फिलहाल किसान इसलिए परेशान हैं क्योंकि पहले से टारगेट को कम कर दिया गया है. किसानों की मुश्किल है कि उन्होंने अपनी उपज तैयार कर ली है, मगर खरीद कम होने से उनकी चिंता बढ़ गई है.

MORE NEWS

Read more!