
अलवर के प्याज किसान इस समय अपने खेतों में उगाई गई फसल के लिए परेशान हैं. गिरते प्याज के भाव ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इस साल अलवर की प्याज मंडी में प्याज के दाम बहुत कम हो गए हैं, जिससे किसान अपनी लागत भी निकाल नहीं पा रहे हैं.
अलवर देश में नासिक के बाद दूसरी सबसे बड़ी प्याज मंडी है. यहां से प्याज देश-विदेश में सप्लाई की जाती है. पिछले कुछ सालों में किसानों को प्याज के अच्छे दाम मिल रहे थे, इसलिए अधिक से अधिक किसान प्याज की फसल उगाने लगे. लेकिन इस साल प्याज के दाम इतने कम हैं कि किसान अपनी लागत भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं. मंडी में प्याज की कीमतें केवल 2 से 6 रुपये प्रति किलो तक रह गई हैं.
अलवर के बंबोरा गांव के किसानों ने 1.50 बीघा में खड़ी प्याज की फसल को ट्रैक्टर से नष्ट कर दिया. किसानों ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि वर्तमान भाव में न तो लागत निकल रही थी और न ही मजदूरों की कटाई की मजदूरी दी जा सकती थी. इसके बाद किसान गेहूं की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं. इस घटना से किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है.
किसानों के अनुसार एक बीघा प्याज की बुवाई में 40 से 50 हजार रुपये खर्च आते हैं. इसमें बीज, जुताई, निराई-गुड़ाई, दवाइयां और मजदूरी शामिल है. कुल मिलाकर एक बीघा में लगभग 70 से 80 हजार रुपये का खर्च आता है. लेकिन मंडी में प्याज का भाव केवल 20 से 40 किलो के कट्टे के हिसाब से 100 से 150 रुपये तक मिल रहा है.
किसानों का कहना है कि प्याज का भाव इतना बढ़ाया जाए कि कम से कम लागत निकल सके. साथ ही, किसान चाहते हैं कि प्याज को कृषि जिंसों की सूची में शामिल किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसे नुकसान से बचा जा सके.
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