
आंध्र प्रदेश के प्याज किसानों के लिए अच्छी खबर है. प्रदेश के कृषि मंत्री किंजरापु अचन्नायडू ने कहा है कि सरकार ने प्याज किसानों को फाइनेंशियल नुकसान से बचाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एक बड़ा मुआवज़ा देने की घोषणा की है. उन्होंने गुरुवार को कहा, "हम प्याज की गिरती कीमतों के बीच उनके हितों की रक्षा के लिए मजबूत प्लान लागू कर रहे हैं."
अचन्नायडू ने कहा कि सरकार ने किसानों को मुश्किल में न छोड़ने के लिए बाजारों से प्याज खरीदकर दाम कम करने में दखल दिया. "कुरनूल के बाजारों से लगभग 18 करोड़ रुपये का प्याज खरीदा गया, जिसमें से 10 करोड़ रुपये पहले ही सीधे किसानों के खातों में जमा कर दिए गए हैं, और बाकी रकम भी जल्द ही दे दी जाएगी."
उन्होंने कहा, "यह समझते हुए कि सिर्फ मार्केट में दखल देना किसानों की मदद के लिए काफी नहीं है, मुख्यमंत्री ने प्याज किसानों को प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया है. इससे खासकर कुरनूल और कडप्पा जिलों के किसानों को बहुत मदद मिलेगी और हजारों किसान फाइनेंशियल परेशानी से बचेंगे."
अचन्नायडू ने कहा कि यह मुआवजा काफी बड़ा है- कुरनूल में 15,232 हेक्टेयर में 23,316 किसानों के लिए 76.16 करोड़ रुपये, और कडप्पा में 5,681 हेक्टेयर में 6,400 किसानों के लिए 28.41 करोड़ रुपये. कुल मिलाकर 20,913 हेक्टेयर में लगभग 30,000 किसानों के लिए 104.57 करोड़ रुपये दिए जाएंगे.
"सरकार इन फंड्स को जल्द से जल्द जारी करने के लिए काम कर रही है." अचन्नायडू ने 2020 में प्याज की कीमतें गिरने पर किसानों को "कम" मदद देने के लिए पिछली सरकार की आलोचना की. "अब, हम पहले के 770 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 1,200 रुपये प्रति क्विंटल की ज्यादा खरीद कीमत दे रहे हैं."
दूसरी ओर, भारत के सबसे बड़े प्याज उत्पादक जिले नासिक में नई खरीफ फसल की कटाई में देरी के कारण पिछले एक हफ्ते में प्याज की कीमतें तेजी से बढ़ गई हैं. 19 अक्टूबर से रुक-रुक कर हो रही बारिश की वजह से सप्लाई में रुकावट आई है, जिससे एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी, लासलगांव एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) में सप्लाई में काफी कमी आई है.
लासलगांव APMC के नए डेटा से पता चलता है कि औसत थोक कीमत सिर्फ चार दिनों में 26 फीसद बढ़ गई है - मंगलवार को 1,350 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर शुक्रवार को 1,710 रुपये प्रति क्विंटल हो गई. APMC के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि आवक में भारी गिरावट आई है, जो 15,000 क्विंटल से घटकर लगभग आधी रह गई है, जिससे मांग और सप्लाई के बीच का अंतर बढ़ गया है.