
कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक नई और उन्नत किस्म DBW377 (Karan Bold) विकसित की है, जो खासतौर पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान के कोटा और उदयपुर संभागों में सिंचित (Irrigated) और जल्दी बोई जाने वाली (Early Sown) परिस्थितियों के लिए अनुशंसित है.
इस किस्म को भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIWBR), करनाल ने विकसित किया है. संस्थान के अनुसार, यह किस्म न केवल अधिक उत्पादन देने में सक्षम है, बल्कि गेहूं की एक गंभीर बीमारी ‘व्हीट ब्लास्ट’ (Wheat Blast) के प्रति भी प्रतिरोधक (resistant) है.
DBW377 का औसत उत्पादन क्षमता 86.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसके दानों का औसत वजन लगभग 49 ग्राम प्रति हजार दाने बताया गया है, जो इसे भारी और उच्च क्वालिटी वाले दानों वाली किस्म बनाता है.
इस नई वैरायटी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह व्हीट ब्लास्ट रोग के प्रति प्रतिरोधक है. यह रोग दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में गेहूं उत्पादन के लिए बड़ा खतरा माना जाता है. इस रोग से फसलें अक्सर पूरी तरह नष्ट हो जाती हैं. ऐसे में DBW377 किसानों के लिए एक टिकाऊ समाधान साबित हो सकती है.
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि DBW377 जैसी किस्में जलवायु परिवर्तन के दौर में फसल सुरक्षा और उत्पादन स्थिरता दोनों के लिए अहम साबित होंगी. इसकी अनुकूलता और उच्च उपज क्षमता को देखते हुए, यह किस्म गेहूं उत्पादक राज्यों में तेजी से लोकप्रिय हो सकती है.
ICAR-IIWBR ने किसानों को सलाह दी है कि वे इस किस्म की खेती उचित सिंचाई प्रबंधन और अनुशंसित कृषि पद्धतियों के साथ करें ताकि अधिक से अधिक उपज ली जा सके.
ब्रेड गेहूं की वैरायटी करण बोल्ड (DBW 377) को साल 2024 में भारत के सेंट्रल जोन में सिंचित इलाकों में जल्दी बुवाई के लिए रिलीज किया है. खेती के लिए रिकमेंडेड एरिया मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, UP के झांसी डिवीजन और राजस्थान के कोटा और उदयपुर डिवीजन हैं.
बीज उपचार: टेबुकोनाजोल 2% DS @1g/kg बीज
बुवाई का समय: 1-10 नवंबर
बीज की मात्रा: 100 Kg/हेक्टेयर
खाद की खुराक: 150% NPK और ग्रोथ रेगुलेटर के साथ 15t/ha जैविक खाद डालने की सलाह दी जाती है.
ग्रोथ रेगुलेटर: इस किस्म में जल्दी बुवाई और 150% NPK के बाद क्लोरमेक्वाट क्लोराइड (CCC) @ 0.2% + टेबुकोनाजोल 250EC @ 0.1% (पहले नोड और फ्लैग लीफ पर) के दो स्प्रे ज्यादा फायदेमंद होते हैं.