नीम का उपयोग भारत में प्राचीन काल से ही कृषि और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है. आज के समय में, नीम विदेशों में भी अत्यंत अहम पौधा बन गया है और नीम पर आधारित उत्पादों की पेटेंटिंग की जा रही है. नीम के पेड़ों से मिलने वाले उत्पाद लोगों के स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्र में बहुत अहम हैं. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी. खेती, स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी यह बेहतर है. इस विषय पर विचार और चर्चा परिचर्चा के लिए नीम शिखर सम्मेलन और वैश्विक नीम व्यापार मेले का आयोजन आईसीएआर-केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान, झांसी के सहयोग से नई दिल्ली में 19-20 फरवरी 2024 किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य नीम लेपित यूरिया, नीम पर आधारित कीटनाशक और नीम पर आधारित स्वास्थ्य उत्पादों को बढ़ावा देना है.
नीम के पौधों के उच्च गुणवत्ता को देखते हुए में बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीम की खेती की मिशन जरूरत है. क्योकि नीम के उत्पादों का खेती में उपयोग करने से कृषकों की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है. इसके साथ ही, नीम का प्रयोग कृषि, स्वास्थ्य,और पर्यावरण के लिए लाभकारी है.
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कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान, झांसी के निदेशक डॉ. ए. अरुणाचलम ने बताया कि आज अपने देश में लगभग 2 करोड़ नीम के पेड़ हैं, जबकि देश में इसके पांच गुना नीम के पेड़ यानी 10 करोड़ लगाने की जरूरत है. ऐसे में, अब देश में इसकी व्यावसायिक खेती की योजना बनाने के लिए कृषि मंत्रालय, पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार, और नीति आयोग से चर्चा चल रही है. इससे नीम पर शोध किया जा रहा है और अच्छी गुणवत्ता वाले नीम के पौधों को देश में ज्यादा लोग लगा सकेंगे. साथ ही किसान भी आमदनी कमा सकेंगे. डॉ.अरुणाचलम ने बताया कि देश में 275 तरह के नीम के पौधे हैं, जिनमें से 175 तरह की अच्छी क्वालिटी के नीम के पौधे उनका संस्थान जलवायु क्षेत्र के अनुसार ग्रेडिंग कर रहा है. कृषि, स्वास्थ्य, और पर्यावरण के लिए नीम लाभकारी है.
वर्ल्ड नीम आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएनओ) के अध्यक्ष डॉ. बी.एन व्यास ने इसे प्रकृति का सबसे अनोखा उपहार बताया है, जो सभी मानव ,जानवरों और फसलों के लिए वरदान है. नीम के पौधों का प्रत्येक भाग मानव जीवन के लिए अहम है. जलवायु परिवर्तन में बढ़ते तापमान को कम करने में नीम का अहम योगदान हो सकता है. नीम के पेड़ के आसपास तापमान और ऑक्सीजन ज्यादा होती है, जो इंसान से लेकर पशु तक के लिए फायदेमंद है. नीम के पौधे फसलों और फलों की बागवानी के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग करने की जरूरत है. इससे हेल्दी फूड वाली खेती भी हेल्दी रहेगी. नीम के उत्पाद कृषि में लागत को कम करने के साथ पर्यावरण हितैषी हैं. इसके लिए सरकार और निजी संगठनों को काम करने की जरूरत है.
इस आयोजन में कहा गया कि खेती में नीम आधारित उत्पाद को पौध सुरक्षा से लेकर दैनिक जीवन में उपोयग से खेत के उत्पाद और इंसान दोनों स्वस्थ होते हैं. नीम के उत्पाद से खेती की लागत भी कम होती है और खेती और पर्यावरण दोनों ही स्वस्थ रहते हैं. इसलिए नीम आधारित उत्पादों को खेती से लेकर अपनी दिनचर्या में बढ़ाने की जरूरत है. वृक्षारोपण वानिकी के विकल्प के रूप में नीम को सबसे ज्यादा प्राथमिकता देने की बात कही गई है, जिससे नीम आधारित उत्पाद की जरूरत के लिए कच्चे माल की जरूरत पूरी की जा सके. कार्बन क्रेडिट के लिए भी नीम के पेड़ों की वकालत की गई है.
इससे किसानों की इनकम बढ़ाने के अवसर भी हैं. किसान नीम की खेती से कम उपजाऊ और बेकार और बंजर भूमि से भी ज्यादा लाभ कमा सकता है. देश में नीम लेपित यूरिया और नीम आधारित स्वास्थ्य उत्पादों को बढ़ावा देने को प्राथमिकता दिए जाने के साथ ही नीम उगाना जरूरी हो गया है. इसके लिए एक राष्ट्रीय स्तर के मिशन की जरूरत है.
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कार्यक्रम का उद्घाटन डेयर के सचिव आईसीएआर और महानिदेशक, डॉ.हिमांशु पाठक द्वारा व्यापार मेले के उद्घाटन के साथ हुआ है. इस 2 दिवसीय कार्यक्रम में समाज और उद्योग के लिए नीम अनुसंधान और विकास से संबंधित विभिन्न तकनीकी मामलों पर विचार-विमर्श करने के लिए लगभग सात तकनीकी सत्रों का आयोजन किया जा रहा है. इसमें देश और विदेश की 20 कंपनियों ने नीम आधारित उत्पाद पर अपने अपने स्टॉल लगाए थे.