प्याज की निर्यात बंदी के 137 दिन हो चुके हैं. निर्यात बंदी की वजह से दाम इतना कम हो गया है कि किसान उत्पादन लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. अहमदनगर की राहुरी मंडी में 21 अप्रैल को काफी किसानों ने मजबूरी में सिर्फ एक रुपये किलो के दाम पर प्याज बेचा. जबकि किसानों का दावा है कि लागत 15 से 20 रुपये किलो तक आती है. इसी प्रकार छत्रपती संभाजीनगर में किसानों ने सिर्फ 1.5 रुपये किलो के रेट पर प्याज बेचा. अहमदनगर की ही राहता मंडी में किसानों को न्यूनतम दाम सिर्फ 2 रुपये किलो मिला. ज्यादातर मंडियों में किसानों को ऐसा ही दाम मिल रहा है.
किसानों का कहना है कि उन्हें तब तक प्याज का सही दाम नहीं मिलेगा जब तक कि सरकार निर्यात बंदी को नहीं खोलेगी. अहमदनगर के किसान बाजीराव गागरे का कहना है कि की सरकार ने निर्यात बंदी करके किसानों का खरीफ सीजन में भी बहुत नुकसान किया और अब रबी सीजन में भी भारी नुकसान हो रहा है. रबी सीजन क्या प्याज वैसे तो स्टोर किया जा सकता है लेकिन जिन किसानों को अगली फसल के लिए पैसे की सख्त जरूरत है वह मजबूरी में औने-पौने रेट पर मंडियों में व्यापारियों को प्याज बेच रहे हैं.
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देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक महाराष्ट्र है, जहां कुल उत्पादन का करीब 43% पैदावार होती है. इसलिए यहां की मंडियों में प्याज की बंपर आवक हो रही है. इस साल प्याज के कम उत्पादन का अनुमान है, इसलिए किसानों को ऐसी उम्मीद थी कि उन्हें 30-35 किलो का दाम मिलेगा लेकिन निर्यात बंदी की वजह से यह बिल्कुल घट गया है. न्यूनतम दाम एक रुपये किलो से लेकर अधिकतम दम 15 रुपये किलो तक रह गया है. किसानों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में उन लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी जिनकी वजह से उनका इतना नुकसान हो रहा है.
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