चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार के वैज्ञानिकों ने सरसों की दो नई किस्में विकसित की हैं- आरएच 1424 और आरएच 1706. इन किस्मों का लाभ सिर्फ हरियाणा नहीं, बल्कि पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू के किसानों को भी मिलेगा. इन दोनों किस्मों को विश्वविद्यालय के तिलहन वैज्ञानिकों की एक टीम ने विकसित किया है. इस टीम में शामिल थे डॉ. राम अवतार, आर.के. श्योराण, नीरज कुमार, मनजीत सिंह, विवेक कुमार, अशोक कुमार, और अन्य वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत से इस शोध को अंजाम दिया.
आरएच-1706 सरसों की किस्म कम एरुसिक एसिड वाली और अधिक उपज देने वाली किस्म है, जो प्रति हेक्टेयर लगभग 25-27 क्विंटल उपज देती है और इसे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है. यह किस्म हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू में खेती के लिए उपयुक्त है और इसके लिए बीज बोने का सही समय सितंबर के मध्य से अक्टूबर के मध्य तक है.
यह किस्म बारानी (पानी की कमी वाले) क्षेत्रों के लिए बनाई गई है.
इस किस्म में इरूसिक एसिड 2% से कम है, जो तेल को स्वास्थ्य के लिए बेहतर बनाता है.
हरियाणा और राजस्थान, जो देश के प्रमुख सरसों उत्पादक राज्य हैं, उनके किसानों को इन किस्मों से सीधा फायदा मिलेगा. इन नई किस्मों से
कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि ये किस्में सरसों उत्पादक राज्यों के लिए "मील का पत्थर साबित होंगी".
अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने बताया कि नई किस्में न सिर्फ ज्यादा उपज देती हैं, बल्कि कम समय में पकती हैं और बेहतर तेल देती हैं.
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ये नई खोज किसानों की आमदनी बढ़ाने, देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत करने और स्वास्थ्य के लिए अच्छा सरसों तेल उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यदि किसान इन किस्मों को अपनाते हैं, तो निश्चित ही आने वाले समय में सरसों की खेती और बेहतर होगी.
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