फलों के राजा आम का नाम सुनते ही मिठास आ जाती है. रीवा में आम की एक विशेष किस्म पाई जाती है. जिसकी खुशबू और गुणों के कारण जीआई टैग प्राप्त हुआ है. इस आम की देश-विदेश में भारी मांग है. इसे शुगर के मरीज भी खा सकते हैं. दुनिया में रीवा व्हाइट टाइगर के साथ-साथ फलों के राजा आम के लिए भी मशहूर है. यहां के सुंदरजा किस्म के आम की देश-विदेश में काफी मांग है. सुन्दरजा अनेक गुणों से परिपूर्ण है.
यह आम शुगर फ्री है और इसे लंबे समय तक रखा जा सकता है. सुंदरजा आम का डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है और दिल्ली में आयोजित मेले में पुरस्कृत भी किया जा चुका है. सुंदरजा आम की किस्म को जीआई टैगिंग प्रदान की गई है, जो मुख्य रूप से रीवा जिले के गोविंदगढ़ और उसके आसपास उगाया जाता है. इसके लिए पिछले 2 वर्षों से लगातार प्रयास किये जा रहे थे. अब सुंदरजा आम विंध्य की पहचान बनकर पूरी दुनिया में जाना जा रहा है. रीवा जिले की एक जिला एक उत्पाद योजना में सुंदरजा आम को भी शामिल किया गया है.
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जीआई टैग मिलने पर सुंदरजा की विशिष्ट पहचान को आधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया गया है. रीवा रियासत के महाराज रघुराज सिंह ने गोविंदगढ़ में सुंदरजा का बगीचा लगवाया था. इस आम की खासियत यह है कि खाने के बाद भी इसकी खुशबू बनी रहती है. साथ ही इसे कई दिनों तक बिना भी रखा जा सकता है. इसका वजन 250 ग्राम से लेकर 500 ग्राम से भी ज्यादा होता है. सुंदरजा आम की लंबाई 13.5 सेमी चौड़ाई 7.5 सेमी होती है. इस आम में गुठलियां 12 प्रतिशत और छिलका 14 प्रतिशत होता है. सुन्दरजा की मांग देश के साथ-साथ विदेशों में भी खूब है. आम की इस किस्म को जीआई टैग पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. इस आम का डीएनए फिंगर प्रिंट भी लिया गया है. जीआई टैग मिलने से इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है.