किसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार ने गन्ने के दाम में वृद्धि को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. अब गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 340 रुपये प्रति क्विंटल होगा. यह रेट चीनी सीजन 2024-25 के लिए लागू होगा. पिछले साल तक एफआरपी 315 रुपये प्रति क्विंटल था. यानी किसान आंदोलन और चुनावी सीजन के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को रिझाने के लिए 25 रुपये प्रति क्विंटल का भारी इजाफा किया है. कैबिनेट ने इस वृद्धि को मंजूरी दी है. गन्ने का यह एफआरपी 10.25 फीसदी की चीनी रिकवरी पर मिलेगा. अगर गन्ने में चीनी रिकवरी 10.25 फीसदी से ऊपर होगी तो किसान को प्रत्येक 0.1 प्रतिशत अंक की वृद्धि के लिए 3.32 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा मिलेंगे. वसूली में 0.1% की कमी पर समान राशि की कटौती की जाएगी. जबकि 9.5 फीसदी या उससे कम रिकवरी वाली चीनी मिलों के लिए एफआरपी 315.10 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है.
यह गन्ने की ऐतिहासिक कीमत है, जो चालू सीजन 2023-24 के लिए गन्ने की एफआरपी से लगभग 8% अधिक है. गन्ने की A2+FL लागत से 107% अधिक पर नया FRP गन्ना किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करेगा. गौरतलब है कि भारत पहले से ही दुनिया में गन्ने की सबसे ज्यादा कीमत चुका रहा है और इसके बावजूद सरकार भारत के घरेलू उपभोक्ताओं को दुनिया की सबसे सस्ती चीनी सुनिश्चित कर रही है. केंद्र सरकार के इस फैसले से 5 करोड़ से अधिक गन्ना किसानों (परिवार के सदस्यों सहित) और चीनी क्षेत्र से जुड़े लाखों अन्य लोगों को फायदा होने वाला है.
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इस मंजूरी के साथ, चीनी मिलें गन्ने की एफआरपी 10.25% की रिकवरी पर 340 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करेंगी. हालांकि, गन्ने का न्यूनतम मूल्य 315.10 रुपये प्रति क्विंटल है जो 9.5% की रिकवरी पर है. भले ही चीनी की रिकवरी कम हो, किसानों को 315.10 रुपये प्रति क्विंटल की दर से एफआरपी का आश्वासन है.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में, मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य सही समय पर मिले. पिछले चीनी सीज़न 2022-23 का 99.5% गन्ना बकाया और अन्य सभी चीनी सीज़न का 99.9% किसानों को पहले ही भुगतान किया जा चुका है, जिससे चीनी क्षेत्र के इतिहास में सबसे कम गन्ना बकाया लंबित है.
ठाकुर ने दावा किया कि सरकार द्वारा समय पर नीतिगत हस्तक्षेप के साथ, चीनी मिलें आत्मनिर्भर हो गई हैं और चीनी सीजन 2021-22 के बाद से सरकार द्वारा उन्हें कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जा रही है. फिर भी, केंद्र सरकार ने किसानों के लिए गन्ने की 'सुनिश्चित एफआरपी और सुनिश्चित खरीद' सुनिश्चित की है.
एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है, जिस पर चीनी मिलों किसानों से गन्ना खरीदना होता है. कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) हर साल एफआरपी की सिफारिश करता है. सरकार गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत एफआरपी तय करती है. चीनी सीजन 2023-24 के लिए सरकार ने गन्ने के एफआरपी को केवल 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया था. एफआरपी 305 से बढ़ाकर 315 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था.
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