
भारत सरकार हर साल राज्यों और संबंधित मंत्रालयों से मिले सुझावों तथा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर देश की 22 अधिदेशित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती है. 2018-19 के केंद्रीय बजट में यह अहम फैसला लिया गया था कि MSP को उत्पादन लागत (Cost of Production) से कम से कम 50% अधिक रखा जाएगा. इसके बाद से खरीफ, रबी और वाणिज्यिक फसलों के MSP में लगातार बढ़ोतरी की गई है.
सरकार का कहना है कि MSP बढ़ाने का सीधा लाभ किसानों को मिला है. फसल वर्ष 2024-25 में:
नीचे दी गई टेबल में 2015-16 की तुलना में 2025-26 तक MSP में हुई बढ़ोतरी और उसका प्रतिशत दिखाया गया है:-
| फसल | MSP 2015-16 (₹/क्विंटल) | MSP 2025-26 (₹/क्विंटल) | % बढ़ोतरी |
| खरीफ फसलें | |||
| धान (सामान्य) | 1410 | 2369 | 68% |
| धान (ग्रेड A) | 1450 | 2389 | 65% |
| ज्वार (हाइब्रिड) | 1570 | 3699 | 136% |
| ज्वार (मालदंडी) | 1590 | 3749 | 136% |
| बाजरा | 1275 | 2775 | 118% |
| रागी | 1650 | 4886 | 196% |
| मक्का | 1325 | 2400 | 81% |
| अरहर | 4625 | 8000 | 73% |
| मूंग | 4850 | 8768 | 81% |
| उड़द | 4625 | 7800 | 69% |
| कपास (मध्यम रेशा) | 3800 | 7710 | 103% |
| कपास (लंबा रेशा) | 4100 | 8110 | 98% |
| मूंगफली | 4030 | 7263 | 80% |
| सूरजमुखी बीज | 3800 | 7721 | 103% |
| सोयाबीन (पीला) | 2600 | 5328 | 105% |
| रामतिल | 4700 | 9846 | 110% |
| नाइजर बीज | 3650 | 9537 | 161% |
| रबी फसलें | |||
| गेहूं | 1525 | 2585 | 69% |
| जौ | 1225 | 2150 | 76% |
| चना | 3500 | 5875 | 68% |
| मसूर | 3400 | 7000 | 106% |
| रेपसीड-सरसों | 3350 | 6200 | 85% |
| कुसुम | 3300 | 6540 | 98% |
सरकार हर साल, राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के अभिमतों पर विचार करने के पश्चात कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर 22 अधिदेशित कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करती है. वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट में एमएसपी को उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुना के स्तर पर रखने के पूर्व-निर्धारित सिद्धांत की घोषणा की गई थी. तदनुसार, सरकार ने वर्ष 2018-19 से सभी अधिदेशित खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी में अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत लाभ के साथ वृद्धि की है.
एमएसपी नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, एमएसपी की घोषणा के पश्चात, सरकार किसानों को मूल्य समर्थन प्रदान करने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और अन्य नामित राज्य एजेंसियों के माध्यम से अनाज और मोटे अनाज की खरीद करती है. जब दलहन, तिलहन और कोपरा का बाजार मूल्य एमएसपी से कम हो जाता है, तब संबंधित राज्य सरकारों के परामर्श से इन उत्पादों की खरीद, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की समग्र योजना के अंतर्गत मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत की जाती है. पीएम-आशा योजना के तहत खरीद एजेंसियां भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) हैं. सरकार द्वारा कपास और पटसन की खरीद भी क्रमशः भारतीय कपास निगम (सीसीआई) और भारतीय पटसन निगम (जेसीआई) के माध्यम से एमएसपी पर की जाती है.
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