
मराठवाड़ा में इस साल अपेक्षित बारिश नहीं होने से किसान संकट में हैं. खासकर सूखे जैसी स्थिति का सबसे ज्यादा असर मौसंबी के बगीचे पर देखने को मिल रहा है. इस वर्ष मौसंबी समेत अन्य बागानों को संभालना काफी मुश्किल होगा और संतोषजनक बारिश नहीं होने के कारण कुएं, तालाब और कुआं सूख गये हैं. परिणामस्वरूप किसान मौसंबी के बागों को काट रहे हैं. छत्रपति संभाजीनगर के पैठन तालुका के कडेथन के किसान कल्याण तलपे ने तीन सौ मौसंबी के पेड़ काट दिए हैं. यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि कुएं में पानी नहीं है और पानी के बिना बगीचा उगाना संभव नहीं है. इस साल मॉनसून में की बेरुखी की वजह से पूरे महाराष्ट्र ने सूखे का सामना किया है.
कल्याण तलपे ने 10 साल पहले तीन सौ मोसंबी के पेड़ लगाए थे. इस दौरान उन्होंने बड़ी मेहनत से मौसंबी की खेती की थी. इस साल बारिश कम होने के कारण कुओं और बोरवेलों में पानी सूख गया है. कई प्रोजेक्ट सूख गए हैं. इसके कारण पैठन तालुका के अधिकांश हिस्सों में सूखे की स्थिति पैदा हो गई है. ऐसे में गर्मी में पीने के लिए पानी मिलेगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है. इसलिए, चूंकि मौसंबी उद्यान का रखरखाव करना संभव नहीं है, तलपे दस वर्षों से मौसंबी के पेड़ों को काट रहा है.
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इस साल मराठवाड़ा में बारिश काफी कम है. छत्रपति संभाजीनगर जिले में कोई अलग स्थिति नहीं है. इसलिए पीने के पानी के साथ-साथ खेती के लिए आवश्यक पानी की भी समस्या उत्पन्न होने की आशंका है. पैठन तालुका के कई गांवों में पहले से ही टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है. इसलिए भविष्य में स्थिति और भी गंभीर होने की आशंका है. इसके लिए प्रशासन की ओर से उपाय किये जा रहे हैं.
मराठवाड़ा का प्यासा जायकवाड़ी बांध छत्रपति संभाजीनगर के पैठण तालुक में स्थित है. हालांकि, उसी पैठन तालुका के कुछ गावों में पीने का पानी नहीं होने के कारण टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है. दिलचस्प बात यह है कि तालुका में बड़ी मात्रा में मौसंबी के बगीचे भी हैं. ऐसे में बागवानों पर पानी की मार पड़ रही है. इसलिए पैठणकर बांध सूखे कंठ के समान हो गया है. पेयजल की व्यवस्था के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की गई है. ऐसे में गर्मी के मौसम में पैदा होने वाली सूखे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए पेयजल के साथ-साथ पशुओं को भी पीने का पानी उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है.