जैसे-जैसे खरीफ सीजन अपने अंतिम चरण में पहुंचा है, वैसे-वैसे फसलों की स्थिति भी साफ़ होने लगी है. इस साल मॉनसून समय से पहले केरल में पहुंचा, जिससे बुआई की शुरुआत जल्दी हो गई थी. शुरूआत अच्छी रही, लेकिन जैसे-जैसे सीजन आगे बढ़ा, कई फसलों की बुआई में गिरावट दर्ज की गई. लेकिन मक्का (Maize) ने सभी फसलों को पीछे छोड़ते हुए खरीफ सीजन में बाज़ी मार ली है.
कृषि मंत्रालय द्वारा 19 सितंबर तक जारी आंकड़ों के अनुसार, मक्का की बुआई 94.95 लाख हेक्टेयर (lh) तक पहुंच गई है, जो पिछले साल की तुलना में 12.6% अधिक है. पिछले साल इसी समय यह क्षेत्रफल 84.30 लाख हेक्टेयर था.
विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों का मक्का की ओर रुझान बढ़ा है क्योंकि यह फसल मूल्य में अच्छी और मौसम की मार से सुरक्षित है. यही कारण है कि मक्का इस साल की स्टार फसल बन गई है.
धान, जो खरीफ की मुख्य फसल मानी जाती है, उसकी बुआई में पिछले साल की तुलना में 2% की मामूली बढ़त हुई है. 2024 में जहां धान की बुआई 430.06 लाख हेक्टेयर हुई थी, वहीं इस साल यह 438.51 लाख हेक्टेयर तक पहुंची.
हालांकि पिछले दो हफ्तों में सिर्फ 25,000 हेक्टेयर ही नई बुआई हुई है, जिससे साफ है कि धान की बुआई अब लगभग पूरी हो चुकी है.
दालों की बात करें तो अरहर, उड़द और मूंग में मामूली उतार-चढ़ाव देखा गया है:
कुल मिलाकर दालों की बुआई में स्थिरता देखी गई है.
तेल वाली फसलों (तिलहन) की बात करें तो क्षेत्रफल घटकर 189.51 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो पिछले साल 194.67 लाख हेक्टेयर था- यानि 2.7% की गिरावट.
कपास की बुआई भी इस साल कम हुई है. पिछले साल जहां कपास 112.76 लाख हेक्टेयर में बोई गई थी, इस साल यह घटकर 109.9 लाख हेक्टेयर रह गई है- यानि 2.5% की गिरावट.
कृषि मंत्रालय के अनुसार, कुल खरीफ फसलों की बुआई 19 सितंबर तक 1,115.86 लाख हेक्टेयर पहुंच गई है, जो पिछले साल के 1,100.42 लाख हेक्टेयर से 1.4% अधिक है.
इस खरीफ सीजन में जहां कई प्रमुख फसलों में या तो गिरावट आई है या बहुत हल्की बढ़त दर्ज हुई है, वहीं मक्का ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है. किसानों की बदलती प्राथमिकता, बेहतर बाजार भाव और जलवायु प्रतिरोधी क्षमता ने मक्का को खरीफ सीजन का हीरो बना दिया है.
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