पंजाब के संगरूर जिले के भवानीगढ़ ब्लॉक के गांव आलो अरख में किसानों के खेतों में से निकल रहा लाल रंग का पानी अब एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है. गांव के रहने वाले किसान कुलविंदर सिंह, जो कि एक रिटायर्ड फौजी हैं, ने बताया कि उनके खेत में लगे ट्यूबवेल से पिछले कई वर्षों से लाल रंग का केमिकल मिला पानी निकल रहा है. न केवल उनके खेत में बल्कि आस-पास के कई अन्य किसानों के खेतों में भी यही हाल है. यह समस्या अब स्थानीय स्तर पर एक बड़ी पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी संकट बन चुकी है.
कुलविंदर सिंह के अनुसार, इस जहरीले पानी का मुख्य कारण उनके खेत से लगभग 500 मीटर दूर लगी एक रंग बनाने वाली फैक्ट्री है, जो कुछ साल पहले बंद हो चुकी है. हालांकि अब फैक्ट्री का कोई निशान नहीं बचा. मगर उस फैक्ट्री ने अपने समय में जहरीला केमिकलयुक्त पानी जमीन में रिचार्ज कर दिया था. इसका अब धरती के नीचे के पानी पर साफ दिख रहा है. कुलविंदर सिंह ने एक दर्दनाक सच्चाई भी साझा की कि उनके दो भाइयों की मृत्यु इसी दूषित पानी के कारण हुई बीमारियों की वजह से हो चुकी है. उनका कहना था कि वह खुद भी इस पानी के कारण कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं.
यह समस्या सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे गांव की है, जहां कई परिवारों ने इस पानी के दुष्प्रभाव झेले हैं. उन्होंने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की तरफ से भी कुछ समय पहले ट्यूबवेलों से पानी के सैंपल लिए गए थे लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी समय-समय पर सैंपल लेने तो आते हैं, लेकिन नतीजा जीरो ही रहता है. समस्या की गंभीरता को देखते हुए ट्यूबवेलों पर यह चेतावनी तक चिपका दी गई है कि यह पानी पीने योग्य नहीं है.
किसानों का कहना है कि अब खेत में काम करते समय वे घर से पीने का पानी लेकर जाते हैं क्योंकि खेतों में निकल रहा पानी इस्तेमाल लायक नहीं रहा. खेतों की सिंचाई इसी ट्यूबवेल के पानी से करनी पड़ती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है और उत्पादन में भी गिरावट आई है. कुलविंदर सिंह और बाकी किसानों की मांग है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और स्थायी समाधान निकाले. उन्होंने मांग की कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सिर्फ सैंपल लेकर रिपोर्ट तैयार करने तक सीमित न रहकर कोई ठोस कार्यवाही करनी चाहिए. साथ ही, सरकार को प्रभावित किसानों को मुआवजा और चिकित्सा सहायता भी प्रदान करनी चाहिए.
यह मामला न केवल पर्यावरण प्रदूषण का एक ज्वलंत उदाहरण है बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे एक बंद हो चुकी फैक्ट्री की लापरवाहियों का खामियाजा आज भी सैकड़ों किसान और उनके परिवार भुगत रहे हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि इस समस्या का जल्द समाधान निकले ताकि लोगों को साफ पानी और सुरक्षित जीवन मिल सके. किसान कुलविंदर सिंह ने मांग की है कि अगर सरकार उसे रजवाहे का पानी दे दे तो वह अपने ट्यूबल के साथ मिक्स कर खेतों में अपनी फसल को पानी दे सकते हैं. इससे उनकी फसल की गुणवत्ता पर भी कम असर होगा.
वहीं संगरूर के डिप्टी कमिश्नर संदीप ऋषि ने जानकारी देते हुए बताया कि इस किसान के खेतों के नजदीक कभी गांव आलोअरख में मठाड़ू केमिकल' नाम की एक फैक्ट्री हुआ करती थी. उस फैक्ट्री की तरफ से जमीन के नीचे के पानी (ग्राउंड वाटर) में केमिकल इंजेक्ट किया गया था. बाद में जब इसकी शिकायतें सामने आईं तो यह मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) तक पहुंचा और जांच के बाद उस क्षेत्र के जमीन और पानी को साफ करवाने के आदेश भी दिए गए थे. सरकार ने एनजीटी के इन आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की हुई है और फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. उस समय के प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका पर भी जांच चल रही है और यह भी देखा जा रहा है कि इसमें कौन-कौन जिम्मेदार थे.
उनका कहना था कि अगर यह किसान कुलविंदर नहरी पानी की मांग करते हैं तो प्राथमिकता के आधार पर उन्हें वह मुहैया कराया जाएगा. अगर इस किसान के नजदीक कोई छोटी नहर जा रही है तो वह नियम अनुसार आवेदन करें और प्राथमिकता के आधार पर उसके खेतों तक साफ नहरी पानी पहुंचाया जाएगा. मठाड़ू फैक्ट्री का बिजनेस लुधियाना, नोएडा और कई और जगहों तक फैला है. कोर्ट केस के अनुसार इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई और जुर्माना लगाने की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.
(कुलवीर सिंह की रिपोर्ट)
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today