लीची एक ऐसा फल है जो अपने आकर्षक रंग, स्वाद और गुणवत्ता के लिए लोकप्रिय है. लीची की खेती भारत में कई जगहों पर की जाती है. ये बहुत ही रसीला फल होता है. पूरी दुनिया में लीची उत्पादन के मामले में भारत को दूसरा स्थान प्राप्त है. वहीं पहले नंबर पर चीन है. लीची का फल लाल छिलकेदार होता है जिसमें सफेद रंग का गूदा होता है, जो स्वाद में मीठा और स्वादिष्ट होता है. गर्मी के दिनों में लोग इस फल को काफी चाव से खाते हैं. लीची के फलों का उपयोग सीधे तौर पर खाने के अलावा अनेक प्रकार की चीजों को बनाने के लिए भी किया जाता है.
लीची के फलों से जैम, जेली और शरबत आदि बनाया जाता है. इसकी बागवानी का सही समय मॉनसून के तुरंत बाद अगस्त-सितंबर को माना जाता है. दरअसल बाजारों में भी लीची की बहुत अधिक मांग रहती है, जिस वजह से किसान लीची की खेती करना पसंद करते हैं.
अगर आप इस मॉनसून में किसी बागवानी फसल की खेती करना चाहते हैं तो आप लीची की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में शाही लीची, कलकतिया लीची, मुजफ्फरपुर लीची, चाइना लीची और स्वर्ण रूपा आदि किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
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शाही लीची: देश की एक व्यावसायिक और अगेती किस्म है जो दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय होती जा रही है. इस किस्म के फल गोल और गहरे लाल रंग के होते हैं. शाही लीची में गूदे की मात्रा अधिक होती है जो इस किस्म की प्रमुख विशेषता है. इसके पौधों पर लगने वाले फल मई माह में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके प्रत्येक पौधे से 100 किलो तक फल प्राप्त किया जाता है. इस किस्म की डिमांड देश के साथ ही विदेशों में भी काफी अधिक होती है.
कलकतिया लीची: यह किस्म अधिक देरी से पककर तैयार होती है. इसके पौधों पर लगने वाले फल जुलाई के महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसका पूर्ण विकसित पौधा 20 वर्षों तक पैदावार दे देता है. इसके फलों का स्वाद मीठा होता है, जिसमें निकलने वाला बीज अधिक बड़ा होता है.
मुजफ्फरपुर लीची: जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बिहार का मुजफ्फरपुर जिला देश में लीची उत्पादन के मामले में सबसे आगे है. यहां का मुजफ्फरपुर किस्म लीची उत्पादन के लिए बहुत खास होता है. इस किस्म के फल नुकीले होते हैं. इसके फल का वजन 22 से 25 ग्राम तक होता है. इसे लेट लार्ज रेड किस्म के नाम से भी जाना जाता है.
चाइना लीची: ये लीची की एक पछेती उन्नत किस्म है. इसके फलों का रंग गहरा लाल और आकार मध्यम होता है. फलों में गूदे की मात्रा अधिक पाई जाती है. प्रत्येक पौधे से 80 से 90 किलोग्राम तक उपज प्राप्त हो जाती है.
स्वर्ण रूपा: इस किस्म को भारत में कई स्थानों पर उगाया जाता है. इस वैरायटी के फल का आकार सामान्य होता है, जिसके अंदर अधिक मात्रा में गूदा पाया जाता है. यह फल देखने में गहरे गुलाबी रंग का होता है. इसका पूर्ण विकसित पौधा 100 किलो तक का उत्पादन प्रति वर्ष दे देता है.