भिंडी की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतरीन जरिया है. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.भिंडी एक ऐसी सब्ज़ी है जो बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक सबको पसंद आती है. पूरे साल में मिलने वाली यह सब्ज़ी पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इसमें विटामिन, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट और मिनरल्स के साथ ही कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और आयरन की भरपूर मात्रा होती है. भिंडी एक ऐसी फसल है, जिसकी मांग बाज़ार में सालभर रहती है. भरत में बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, आसाम, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा भिंडी का उत्पादन होता है. भिंडी की सबसे खास बात यह है कि एक बार इसकी खेती करने के बाद इससे दो बार फसल लिया जा सकता है.
किसानों को खेती में फायदे हो इसलिए भिंडी की कई किस्में विकसित की गई हैं खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है ऐसे में किसान इस खरीफ सीजन में भिंडी की सही किस्म का चुनाव कर अच्छा उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पा सकते हैं.
भिंडी की यह किस्म उन्नत किस्मों में मानी मनी जाती है. यह गर्मी,ठंडी और बारिश के मौसम में उगाया जाता है.ये किस्म वर्षा के मौसम में 60 से 65 दिन के बाद उत्पादन देने लगती है.
भिंडी की यह किस्म पीत-रोग का मुकाबला करने में सक्षम हैं इसके बीज लगाने के करीब 50 दिन बाद फल आने शुरू होते हैं. इस किस्म की भिंडी गहरे हरे रंग की और 15-18 सेंमी. लंबी होती है.
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यह किस्म भी येलोवेन मोजेक विषाणु रोग से खुद का बचाव करने में सक्षम है. पौधे की लंबाई 120-150 सेमी. तक होती है और इसमें कई शाखाएं भी होती हैं. इस किस्म की भिंडी के फलों में रोए नहीं होते और वह मुलायम होती है. यह किस्म गर्मी और बरसात दोनों के लिए उपयुक्त है.
इस किस्म का विकास पंजाब विश्वविद्यालय से हुआ है इसकी खासियत यह होती है कि इसके फल सीधे, चिकने और गहरे रंग के होते हैं.
भिंडी की यह किस्म येलोवेन मोजेक विषाणु रोग से खुद का बचाव करने में सक्षम है. इस किस्म की भिंडी के पौधे 120-150 सेमी लंबे और एकदम सीधे होते हैं.