Fruit Orchard : पोषक तत्वों का खजाना है आंवला, जानिए नई किस्में, खासियत और उगाने के टिप्स

Fruit Orchard : पोषक तत्वों का खजाना है आंवला, जानिए नई किस्में, खासियत और उगाने के टिप्स

आंवले की नई किस्मों के विकास के कारण उत्तर प्रदेश और अब दक्षिण में आंध्र प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र और राजस्थान तक के क्षेत्र में इसकी बागवानी बड़े पैमाने पर की जाने लगी है. थोड़ी सी सावधानी और बेहतर जानकारी से आंवला बागवानी में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. बाग बगीचा सीरीज में जानेंगे आंवले की बागवानी के लिए कौन सी किस्म चुनें और कैसे लगाएं?

आंवले की खेती से जुड़ी पूरी जानकारीआंवले की खेती से जुड़ी पूरी जानकारी
जेपी स‍िंह
  • New Delhi,
  • Jul 28, 2023,
  • Updated Jul 28, 2023, 4:08 PM IST

बाग-बगीचा : आंवले की बागवानी में जरा-सी सावधानी और बेहतर जानकारी से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. आंवले को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. आंवले में कई औषधीय तत्व पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों से बचाव में सहायक होते हैं. आयुर्वेद में आंवले को प्रकृति का उपहार माना गया है. आंवला विटामिन-सी, कैल्शियम, एंटीऑक्सीडेंट,आयरन, पोटैशियम जैसे तमाम पोषक तत्वों का खजाना है. आंवले को आप कच्चा या फिर जैम के रूप में खा सकते हैं. हालांकि इसको जूस, अचार या चटनी के रूप में भी आहार में शामिल किया जाता है. इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है.

इसकी एक और खूबी यह है कि पानी की कमी वाले क्षेत्र, साथ ही जहां लवणीय ज़मीन है, वहां भी आंवला बाग से अच्छे मात्रा में फल और कमाई की जा सकती है. इसकी बागवानी कभी उत्तर प्रदेश तक सीमीत थी लेकिन अब नई किस्मों से आने के कारण दक्षिण  के आन्ध्र प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र और राजस्थान तक के क्षेत्र में आंवला की बागवानी बड़े पैमाने  की जाने लगी है. हमारी सीरीज बाग बगीचा में आंवले की बागवानी के बारे में जानते हैं. इसके लिए कौन सी किस्म चुनें, कैसे लगाएं?

नई किस्मों से तीसरे साल से मिलने लगता है उपज

कृषि विज्ञान केन्द्र अयोध्या के हेड और बागवानी विशेषज्ञ डॉ बीपी शाही ने किसान तक को बताया कि आंवला की अच्छी फलत लेने के लिए कई लेटेस्ट वैरायटी आ चुकी है? नई वेराइटीज को प्राथमिकता देनी चाहिए. उसमें यह भी देखें कि जिस जगह पर जो किस्म बेहतर पैदावार के लिए फिट बैठती हैं, उन्ही किस्मों को चुनें. आचार्य नरेन्द्र देव कृषि और प्रौद्योगकी विश्वविद्यालय अयोध्या द्वारा अच्छी और व्य़वसायिक किस्में निकाली गई हैं, जो तीसरे साल से फल देने लगती हैं. आंवला की इन किस्मों से 10-12 वर्ष पुराने पेड़ से 150-200 किलोग्राम फल की उपज मिलने लगता है.

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बड़े होते है कृष्णा किस्म के फल

बागवानी विशेषज्ञ डॉ बीपी शाही के अनुसार यह बनारसी किस्म से चयनित करके निकाली गई एक अगेती किस्म है. इसके फल बड़े आकार के होते हैं, जिसका वजन 50 से 60 ग्राम के होता है. इसका रंग सफेद, हरे से हल्का पीला होती है. ये अत्यधिक कसैलापन लिए होता है. इसकी भंडारण क्षमता अधिक होती है. इनके पौधे पर अधिक मादा पुष्पों के कारण इसकी उत्पादन क्षमता अधिक होती है. इसके फल मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर तक  पकते हैं. इस किस्म के फल मुरब्बा, कैंडी और जूस बनाने के लिए बेहतर हैं. 

अधिक उपज देने वाली कंचन (एनए-4) किस्म

बागवानी विशेषज्ञ के अनुसार आंवला की कंचन किस्म चकईया किस्म से चयनित कर विकसित की गई है. ये मध्यम समय में तैयार होने वाली किस्म है. इसके पौधों पर भी मादा फूलों की संख्या अधिक होने के कारण यह अधिक फल देती है. इसके फल मध्यम आकार के होते हैं और वजन 32 से 35 ग्राम होता है. फलो का रंग हल्का पीलापन लिए हरा होता है. इस किस्म में तीसरे साल से फल आने लगते हैं, इसके 10 साल के एक पौधे से एक कुंतल से लेकर 3 कुंतल तक फल पाया जा सकता है.

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नरेन्द्र-6  (एन ए - 6)

आंवला की नरेन्द्र- 6 किस्म को भी चकईया चयनित कर विकसित किया गया है. मादा फूलो की संख्या अधिक होने के कारण इसमे भी फलन बहुत अच्छा होता है. मध्य नवम्बर से मध्य दिसम्बर में यह किस्म पक कर तैयार हो जाती है. इसके पेड़ का फैलाव अधिक होता है, जिसके कारण अधिक उत्पादन देता है .

नरेन्द्र- 7  (एन ए - 7)

आंवला नरेंद्र- 7 किस्म बीजू पौधे से विकसित की गई है. इसके पेड़ सीधे बढ़ते हैं, यह किस्म भी तीसरे वर्ष से फल देने लगती है. इनकी शाखाओं पर मादा फूलों की संख्या अधिक होने के कारण फलन बहुत अच्छा होता है, इसके फल बड़े होते हैं, जिनका वजन प्रति फल 45 से 47 ग्राम होता है, इसके फल हरे, सुनहरे और चमकदार होते हैं.

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नरेन्द्र- 9  (एन ए - 9) मुरब्बा के लिए बेहतर 

नरेन्द्र- 9 आंवला की एक अगेती किस्म है.यह मध्यम फल देने वाली किस्म है. फल बड़े वजन के करीब 46 से 47 ग्राम ग्राम के होते हैं. चपटे, चिकनी त्वचा वाले फल हल्के पीले रंग के होते है. इसके फल मुरब्बा बनाने के लिए अच्छे होते हैं.

अगेती किस्म है नरेन्द्र- 10  (एन ए – 10 )

नरेन्द्र- 10 आंवला की एक अगेती किस्म है. .यह मध्यम फलन देने वाली किस्म है. इसके पेड़ सीधे बढ़ने वाले होते हैं. फल बड़े होते है .इसका वजन 50 से 55 ग्राम होता है. इसके फल गोलाकार, हरे राफेद रंग के होते हैं. मुरब्बा बनाने के लिए उपयुक्त होते है.

कैसे करें आंवला की बागवानी? 

बागवानी विशेषज्ञ डॉ बीपी शाही के ने बताया कि पौधों को खेत में योजनाबद्ध तरीके से लगाने चाहिए. आंवला की बागवानी खेती की शुरुआत बारिश के मौसम से पहले की जाती है.सबसे पहले मई के महीने में 7 बाई 7 मीटर की दूरी रखते हुए 1 घन मीटर आकार के गड्ढे खोद कर कुछ दिन खुला छोड़ने के बाद इसकी खोदी मिट्टी में 10 किलो गोबर की खाद, यूरिया 200 ग्राम, 100 ग्राम डीएपी और 100 पोटाश साथ ही साथ 20 ग्राम फिपरोनिल कीटनाशक दवा मिलाकर गड्ढे को भर देना चाहिए. 

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एक बाग में दो-तीन प्रकार की किस्में जरूर लगाएं

डॉ बीपी शाही ने कहा कि आंवला के पेड एक बार स्थापित हो जाने के बाद कम से कम 30-40 वर्ष तक फल देते रहते हैं. इसलिए चुनी गई किस्मों के चश्मा चढे़ हुए पौधे को किसी कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र, सरकारी या गैर सरकारी प्रमाणित नर्सरी से ही पौध को खरीदना चाहिए. आंवला में स्व-निषेचन के कारण बड़ी संख्या में फूल होने के बावजूद फल नहीं लगते हैं. इसलिए आंवला में दो-तीन प्रकार के किस्म जरूर लगाएं. आंवला के पौधे के रोपण के लिए थाले में पानी देकर मिट्टी को जमने दें या एक बारिश होने तक इंतजार करें. आंवला रोपण जुलाई–अगस्त माह में करना बेहतर होता है.  तैयार गड्ढों के केन्द्र में पौधे का रोपण कर तुरन्त सिंचाई करें. इसके बाद नियमित पानी देते रहें.

 

 

 

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