इंटरनेशनल म‍िलेट ईयर मनाने के ल‍िए भारत ने एफएओ को द‍िए 5,00,000 अमेर‍िकी डॉलर

इंटरनेशनल म‍िलेट ईयर मनाने के ल‍िए भारत ने एफएओ को द‍िए 5,00,000 अमेर‍िकी डॉलर

International year of millets 2023: न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर मोटे अनाजों की अच्छी खरीद होगी तो भारत के क‍िसानों के ल‍िए भी सार्थक हो जाएगा इंटरनेशनल म‍िलेट ईयर. गेहूं और चावल के सामने समाज और सरकार दोंनों द्वारा उपेक्ष‍ित रहे हैं मोटे अनाज. स‍िर्फ रस्म अदायगी के ल‍िए होती रही है सरकारी खरीद.

मोटे अनाजों के प्रत‍ि बढ़ेगी द‍िलचस्पी (Photo-Kisan Tak) . मोटे अनाजों के प्रत‍ि बढ़ेगी द‍िलचस्पी (Photo-Kisan Tak) .
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Feb 09, 2023,
  • Updated Feb 09, 2023, 7:06 AM IST

यह साल भारत के ल‍िए बहुत खास है. हमारी पहल पर दुन‍िया इसे इंटरनेशनल म‍िलेट ईयर के रूप में मना रही है. दूसरी ओर हम G-20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने जा रहे हैं. दोनों को लेकर देश भर में अलग-अलग तरीके की गत‍िव‍िध‍ियां हो रही हैं. इन दोनों की वजह से व‍िश्व पटल पर हमारी अलग छव‍ि बनेगी. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृष‍ि संगठन यानी एफएओ ने 7 द‍िसंबर 2022 को ही इटली की राजधानी रोम में आयोजित एक कार्यक्रम के जर‍िए 'अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष-2023' (International Year of Millets) की शुरुआत कर दी थी. इस बीच बहुत कम ही लोगों को पता होगा क‍ि भारत ने इससे जुड़ी गतिविधियों में मदद के लिए एफएओ को 5,00,000 अमेरिकी डॉलर द‍िए हैं.  

म‍िलेट ईयर के जर‍िए भारत पूरी दुन‍िया को अच्छी सेहत के ल‍िए पौष्ट‍िक खानपान और पर्यावरण अनुकूल खेती का संदेश दे रहा है. क्योंक‍ि मोटे अनाजों की खेती में पानी की बहुत कम जरूरत पड़ती है. यानी मिलेट संतुलित आहार के साथ-साथ सुरक्षित वातावरण में भी योगदान देगा. भारत के क‍िसानों को भी इस वर्ष के सेल‍िब्रेशन से बहुत उम्मीद है. इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मोटे अनाजों की अच्छी खरीद होगी तो यह वर्ष क‍िसानों के ल‍िए भी सार्थक हो जाएगा.

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बढ़ गई मोटे अनाजों की बुवाई 

अच्छी सरकारी खरीद की उम्मीद में ही क‍िसानों ने इस बार मोटे अनाजों की अध‍िक बुवाई की है. इस वर्ष मोटे अनाजों का रकबा बढ़कर 53.49 लाख हेक्टेयर हो गया है जो रबी फसल सीजन 2021-22 के दौरान 51.42 लाख हेक्टेयर था. यानी इस साल 2.08 लाख हेक्टेयर में बुवाई बढ़ गई है. तेलंगाना में 1.15 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 0.93 लाख हेक्टेयर, ब‍िहार में 0.56 और उत्तर प्रदेश में 0.51 लाख हेक्टेयर एर‍िया बढ़ा है. 

मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग 14 राज्यों के 212 जिलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत पोषक अनाज यानी श्री अन्न पर एक उप-मिशन वर्ष 2018-19 से ही चला रहा है. हालांक‍ि, यह भी कड़वा सच है क‍ि सरकार ने ऐसे अनाजों की खरीद को बहुत नजरंदाज क‍िया है. राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में 80 फीसदी से अधिक मिलेट का उत्पादन होता है.

मोटे अनाजों की खरीद का हाल.

र‍िकॉर्ड खरीद का अनुमान 

गेहूं और चावल के सामने मोटे अनाज समाज और सरकार द्वारा उपेक्ष‍ित रहे हैं. ड‍िपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्ल‍िक ड‍िस्ट्रीब्यूशन के आंकड़ों के मुताब‍िक 2016-17 में तो मोटे अनाजों की सरकारी खरीद स‍िर्फ 72,254 टन ही हुई थी. अब यह बढ़कर 13 लाख टन पहुंच चुकी है. साल 2017-18 में पूरे देश में स‍िर्फ 70462 टन मोटे अनाजों की खरीद की गई थी, जो 2020-21 में बढ़कर 1208008 टन तो हुई, लेक‍िन वृद्ध‍ि का स‍िलास‍िला टूट गया. ऐसे में 2021-22 में एमएसपी पर मोटे अनाजों की खरीद घटकर स‍िर्फ 630301 टन ही रह गई. 

अब म‍िलेट ईयर में एमएसपी पर र‍िकॉर्ड खरीद का अनुमान है. क्योंक‍ि ऐसा करके सरकार क‍िसानों को इसकी अध‍िक बुवाई के ल‍िए प्रेर‍ित करने के ल‍िए एक संदेश देगी. राजस्थान में देश का करीब 44 परसेंट बाजरा पैदा होता है. लेक‍िन, कई साल से इसकी एमएसपी पर खरीद नहीं हो रही है. देखना यह है क‍ि इस साल भी यहां इसकी सरकारी खरीद शुरू होती है या नहीं. क‍िसानों को उम्मीद है क‍ि अब मोटे अनाजों का खानपान बढ़ेगा, ज‍िससे ओपन मार्केट में भी खरीद बढ़ जाएगी. 

भारत में मोटे अनाजों का उत्पादन (Source: Ministry of Agriculture).

मोटे अनाजों का उत्पादन 

कृष‍ि मंत्रालय के अध‍िकार‍ियों ने बताया क‍ि ओडिशा, असम, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्य मोटे अनाजों का उत्पादन और खपत बढ़ाने के लिए स्टेट श्री अन्न मिशन क्रियान्वित कर रहे हैं. आम बजट 2023-24 में, भारत को श्री अन्न के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने की घोषणा की गई. संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृष‍ि संगठन के मुताब‍िक दुन‍िया भर में 735.55 लाख हेक्टेयर में म‍िलेट्स की खेती हो रही है. भारत में दोनों फसल सीजन में म‍िलाकर मोटे अनाज 133 से 143 लाख हेक्टेयर में उगाए जाते हैं. जिसमें 162 लाख टन तक का उत्पादन होता है और उपज 1225 किलोग्राम प्रत‍ि हेक्टेयर तक होती है. 

भारत से उम्मीद

गुयाना के राष्ट्रपति ने केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ एक मुलाकात के दौरान वहां मोटे अनाजों की खेती के लिए 200 एकड़ जमीन देने की पेशकश की है. हालांकि, मंत्रालय में अभी तक कोई औपचारिक प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है. बहरहाल, इससे जुड़ी गत‍िव‍िध‍ियां तेज हैं और इस बीच अपने देश में भी मोटे अनाजों की बुवाई काफी बढ़ गई है.  

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